उदयपुर अहमदाबाद रेल मार्ग पर स्थित उदयपुर में हुए रेलवे ब्रिज ब्लास्ट में पुलिस लोकल एंगल पर भी फोकस कर रही है। पुलिस ने इस मामले में कुछ युवकों को पकड़ा भी है, जो ज्यादातर नाबालिग हैं।पुलिस को शक है कि मार्च में कुछ युवाओं ने चलती बस पर पुल से पथराव किया था। ये युवक ओढ़ा के आसपास छोटे फलां (गांव) के रहने वाले हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो अधिकतर पढ़ाई छोड़ चुके हैं। इलाके में अपना दबदबा बनाने के लिए पहले भी कई बार पथराव और कांकर डूंगरी कांड में उपद्रव के दौरान शामिल रहे हैं। स्थानीय होने से कारण उनके लिए पहाड़ी और जंगलों में छिपना आसान है। ओढ़ा के जिस रेलवे ब्रिज पर ब्लास्ट हुआ, वहां भी ये युवक अक्सर बैठते रहे हैं।
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पुलिस ने बाबरमाल क्षेत्र में बंद पड़ीं माइंस के बारे में भी जानकारी ली है। कौन सी माइंस कब से बंद है। कौन-कौन वर्कर वहां एक्टिव है? बाबरमाल क्षेत्र ओढ़ा से करीब 20 किलोमीटर है। यहां बड़ी संख्या में पत्थरों की माइंस हैं। इसमें ज्यादात्तर आस-पास के आदिवासी युवक काम करते हैं। उन्हें भी विस्फोट और उसकी फिटिंग के बारे में गहरी समझ है। पुलिस इस एंगल से भी अपनी जांच कर रही है कि इस ब्लास्ट के पीछे इन्हीं माइनिंग में काम कर चुका युवक तो शामिल नहीं है?
इस केस में रेलवे हादसे की बड़ी संभावनाओं को देखते हुए आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी दो बड़ी धाराओं को भी शामिल किया गया है। जावर माइंस थाने में दर्ज FIR में UAPA 16 और 18 लगाई गई है। इन धाराओं में आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसके साथ ही रेलवे एक्ट की धारा 150 और 151 भी लगाई गई है। इसमें रेल पटरी को नुकसान पहुंचाने और रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 5 साल की कारावास और आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।