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सूर्य देव की शरणागति में आषाढ़ का महीना, पढ़िए धर्म से जुड़ा यह आलेख,

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-आचार्य मुकेश मिश्रा

बरेली। हिंदी वर्ष के सभी महीनों में आषाढ़ का महीना विशेष महत्व रखता है। दरअसल इस महीने में भगवान सूर्य की पूजा, उपासना, आराधना और जल अर्पण करने से मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति होती है और सरलता से मोक्ष मिलता है। इस महीने की शुरुआत गत 5 जून को हो चुकी है और इस महीने की पूर्ण अवधि 5 जुलाई पूर्णिमा तक रहेगी।इस महीने की महिमा को भगवान श्री कृष्ण ने अपने पुत्र को धर्म शास्त्रों में बताया है। यह महीना तपती हुई सूर्य की किरणों से राहत भी देता है। इसी महीने से चतुर्मास का प्रारंभ भी हो जाता है। वर्षा से धरा जीव-जंतु पेड़-पौधे आदि तृप्त होते हैं। इस महीने में योगिनी एकादशी, देव शयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा और गुप्त नवरात्रि आदि विशेष पर्व इसी महीने में पड़ते हैं।

 

 

*सूर्य पूजा का महत्व*
आषाढ़ में सूर्य पूजा करने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है। आंखें सुंदर और चमकदार होती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सूर्य की किरणों के प्रभाव से शरीर की ऊपरी सतह पर चिपके हुए हानिकारक बैक्टीरिया आदि से निजात मिलती है। लीवर, हृदय और मस्तिष्क सहित शरीर के सभी अंग और सक्रिय हो जाते हैं। इससे चित शान्त रहता है और हमारी इच्छा शक्ति शक्ति अधिक मजबूत होती है। मनुष्य के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। नौकरी में अधिकारियों का और घर में पिता सहित अन्य श्रेष्ठ जनों की कृपा प्राप्त होती है। सुबह जब जल्दी उठेंगे तो शाम को नींद भी जल्दी आएगी। अनिद्रा और थकान जैसी परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा। शरीर के सभी अंग सक्रिय होंगे। सूर्य देव की कृपा से ही महाभारत में कर्ण वीरों में महावीर बना और सूर्य के अनन्य भक्तों की श्रेणी में शुमार हो गया। क्योंकि, ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता का कारक माना गया है। तो इसका स्वभाव भी उस पिता की तरह होता है। जो भले ही बच्चों को गलती होने पर डांटते फटकारते हैं । लेकिन वो मौन रूप से उनके लिए समर्पित होते हैं। साथ ही बच्चों के वर्तमान और भविष्य का पूरा ख्याल रखते हैं। कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति पिता के साथ मधुर संबंधों का सूचक है। वही यह देखा गया है कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य दोष है। उन्हें पिता का सामान्य सुख नहीं मिल पाता। इस महीने तो सूर्य की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार तीव्रता से बढ़ता है। अपने पिता के साथ परमपिता परमेश्वर का भी आशीर्वाद इस महीने सूर्य पूजा से मिल जाता है।

 

 

*भगवान सूर्य की ऐसे करें पूजा*
प्रातः सूर्य को अर्घ देते समय जल पात्र को सिर से ऊपर रखे। जल में कुमकुम और लाल पुष्प अवश्य मिलाएं। सिर के ऊपर से जलधार गिराने पर उसमें से अपवर्तित होकर सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर पड़ती है। अपवर्तन के बाद सूर्य की किरणों की क्षमता में वृद्धि हो जाती है यह हमारे लिए काफी लाभदायक होता है। इस महीने सफेद वस्तुओं का दान करना श्रेयस्कर माना गया है। सूर्य को तीन धाराओं में जल अर्पण करना चाहिए। पहली धार पितरों को होती है। दूसरी से धरती और अन्य जीव जंतु तृप्त होते हैं और तीसरी धार को भगवान भास्कर ग्रहण करते हैं। ऐसा करने से देव ऋण, पितृ ऋण और मनुष्य ऋण से मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा से शनि दोष का निवारण होता है। साथ ही भगवान विष्णु शिव और मां दुर्गा भी प्रसन्न होती हैं।

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