बरेली । अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत दिवस पर विभिन्न जनसंगठनों द्वारा प्रेरणा सदन, PWD ऑफिस, निकट चौकी चौराहा पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। विचार गोष्ठी का विषय “शहीदों की विरासत व बढ़ता हिंदू फासीवादी खतरा” रहा। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता देव सिंह जी ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सुधीर विद्यार्थी जी (विख्यात क्रांतिकारी साहित्यकार) एवं ध्यान चंद्र मौर्य जी (शहर सचिव, इंकलाबी मजदूर केंद्र) रहे।
गोष्ठी के शुरुआत में बात रखते हुए क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के फैसल ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद की क्रांतिकारी विरासत अजर – अमर है। हमें क्रांतिकारी विरासत से प्रेरणा लेते हुए, वर्तमान में उभरते हिंदू फासीवादी खतरे का मुकाबला करने के लिए, सभी इंसाफपसंद लोगों को एक मंच पर आना होगा। फासीवाद के खिलाफ मजदूर – मेहनतकशों की व्यापक एकता आज वक्त की जरूरत है।
पछास की निशा ने कहा कि आज बढ़ते फासीवादी दौर में कॉलेज – कैंपसों में शहीदों को याद करना मुश्किल हो गया है। छात्रों – नौजवानों की आवाज़ को हर जगह कुचला जा रहा है। जाति – धर्म के नाम पर नौजवानों को बरगलाया जा रहा है। ऐसे दौर में फासीवादी विचारों का मुकाबला शहीद चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के विचारों पर खड़े होकर ही किया जा सकता है।
गोष्ठी में बात रखते हुए ऑटो रिक्शा टेम्पो चालक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्णपाल ने कहा कि आज बेरोजगारी और शोषण चरम पर है। मजदूर 12 – 12 घंटे काम करने को मजबूर हैं। मजदूरों के शोषण को और बढ़ाने तथा मजदूर – मेहनतकशों को आपस में बांटने के लिए देशी – विदेशी पूंजीपति फासीवादी विचारों वाली पार्टियों को सत्ता में पहुंचा रहे हैं। फासीवादी ताकतों द्वारा शोषण – उत्पीड़न के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को कुचला जा रहा है।
ऐसे में फासीवादी आंदोलन का मुकाबला क्रांतिकारी विचारों पर खड़े होकर तथा बेरोजगारी, महंगाई, शोषण आदि के खिलाफ मेहनतकश जनता को गोलबंद कर ही किया जा सकता है।गोष्ठी में बोलते हुए मुख्य वक्ता क्रांतिकारी साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी जी ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन का मुख्य पक्ष है संगठन के सभी सदस्यों से प्यार, उनकी जरूरतों का ख्याल रखना और जबरदस्त अनुशासन। आज़ाद के जीवन की यह विशेषता है कि उन्होंने भगत सिंह जैसे विचारवान क्रांतिकारी के साथ चलते हुए कभी भी अपने आपको कमतर साबित नहीं किया। आज़ाद न कहीं ठहरे न कभी पीछे मुड़कर देखा। वह निरंतर आगे बढ़ते रहे।
शासकों ने हमेशा ही शहीदों को भूलाने की कोशिश की है लेकिन आम लोगों ने उन्हें अपने गीतों के जरिए तथा घरों व गाड़ियों में फ़ोटो लगाकर उन्हें जिंदा रखा है। आज भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे जनता के नायकों को उनके विचारों से काटकर, उन्हें पगड़ी व जनेऊ में दिखाकर, जाति – धर्म के खांचे में बांटकर दिखाया जा रहा है।
फासिस्ट ताकतों द्वारा आज इतिहास को विकृत कर, गलत सूचनाओं पर आधारित कर, परोसा जा रहा है। कम जानकार लोग उनके प्रभाव में आकर उनका शिकार बन जा रहे हैं। आज फासिस्ट ताकतों के प्रभाव से प्रकाशनों से लेकर अखबार तक भी अछूते नहीं हैं। सभी संस्थाओं को निरर्थक बना दिया गया है। अघोषित आपातकाल लागू किया जा रहा है। फासिस्ट ताकतों का सत्ता में बैठने से ज्यादा बड़ा खतरा जनता के एक बड़े हिस्से का उनके प्रभाव में आ जाना है।
बी टी यू एफ के अध्यक्ष मुकेश सक्सेना ने कहा कि शहीदों के विचारों से काटकर आज हमें अंधकार में धकेला जा रहा है। इसका मुकाबला करने के लिए हमें शहीदों की विरासत को आगे बढ़ाना होगा।
अंत में बात रखते हुए दूसरे मुख्य वक्ता इंकलाबी मजदूर केंद्र के ध्यान चंद्र मौर्य ने कहा कि आज हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां फासीवादी ताकतें मजबूत दिखाई दे रही हैं और जनता का एक हिस्सा भी इनके प्रभाव में है। लेकिन इनकी ताकत पूंजीपतियों के समर्थन और झूठ – नफरत पर आधारित है। अगर जनता को उसकी वास्तविक समस्याओं के इर्द – गिर्द तार्किक आधार पर गोलबंद किया जाए तो इनसे निपटना मुश्किल नहीं है।
मजदूर वर्ग को बांटने के लिए ही एकाधिकारी पूंजीपति वर्ग फासीवादी ताकतों को पालता – पोसता है। फासीवादी आंदोलन को चुनौती मजदूर वर्ग ही दे सकता है। इसीलिए हमें मजदूर वर्ग को उसकी समस्याओं के आधार पर एकजुट करने की जरूरत है।
जनता को हमें बताना होगा कि फासीवाद कैसे मजदूर – मेहनतकशों के खिलाफ है और पूंजीपतियों की सेवा करता है। कैसे नए समाजवादी समाज में ही मजदूर – मेहनतकशों की समस्याओं का समाधान हो सकता है।
गोष्ठी को मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित, क्रांतिकारी किसान मंच के संयोजक हिमांशु सिंह ने भी संबोधित किया। इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता भारत सिंह ने ‘सावधान खतरा बरकरार है’ कविता का पाठ किया। गोष्ठी की शुरुआत तथा अंत में प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के साथियों द्वारा क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए गए। गोष्ठी का संचालन परिवर्तनकामी छात्र संगठन के शहर सचिव कैलाश ने किया।
गोष्ठी में दिशा, रामसेवक, रजत, सुनील यादव, प्रवेश पाण्डेय, शंकर, पुष्पेंद्र, विमल, उमेश कुमार, संजय, आसिफ, राजेश गंगवार, धारा सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।गोष्ठी का आयोजन इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन, ऑटो रिक्शा टेम्पो चालक वेलफेयर एसोसिएशन, क्रांतिकारी किसान मंच, प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।