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दिवाली विशेष : पटाखा जलाते समय रखें इन बातों का ध्यान, आपकी सावधानी बेहद जरूरी ,

डा.महिपाल सचदेव का लेख

बरेली । दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। दिवाली का त्योहार प्रकाश और उजाले का प्रतीक माना जाता है। इसे बड़ी ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली वैसे पांच दिनों का त्योहार माना जाता है। ये कार्तिक महीने के पंद्रहवें दिन से शुरु होता है। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। उस दिन सोना खरीदने का सबसे शुभ अवसर माना जाता है। उस दिन लोग अपने लिए नई-नई चीजें बर्तन, सोना चांदी अवश्य खरीदते हैं। धनतेरस के बाद आती है-छोटी दिवाली, जो कि आश्विन मास की चौदहवें दिन पर होता है। फिर मुख्य दिवाली का दिन आता है।

 

 

इस दिन घरों में दिवाली की परंपरा के अनुसार हम सभी लोग घर के हर कोने में चारों ओर दीपक और मोमबत्तियां जलाते हैं। सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को मुबारकबाद देते हैं। मिठाइयां और तोहफे बांटते हैं। इस दिन का बच्चे खास तौर पर इसलिए भी बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्यों कि उन्हें पटाखे जलाने को मिलते हैं। नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइट के निदेशक डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि पटाखे हमेशा अच्छी लाइसेंस धारक दुकान से ही खरीदने चाहिए। हमेशा बंद बाक्स में ही आतिशबाजी खरीदें। पटाखों को गैस स्टोव या किसी भी ज्वलनशील पदार्थ से दूर रखना चाहिए। पटाखों को खुली जगह पर ही जलाएं। बड़े पटखों को जलाते समय अधिक सावधान रहें। पटाखे जलाने के बाद बची हुई राख या फुलझडियों को एक पानी से भरी हुई बाल्टी में रखें ताकि वह आपके पैरों के नीचे न लगें और न ही आप को नुकसान पहुंचाए।

 

पटाखें में आग दूर से लगाएं

पटाखें पटाखों को दूर से ही जलाएं। पटाखों के एकदम नजदीक न जाएं खासकर अपने चेहरे को तो बहुत ही दूर रखें। निकट से आग लगाने पर बारूद सीधे आंख में घुस जाता हैं। अगर कोई पटाखा न फूटे तो उसके पास जाकर उसे हाथ से न छूएं। हो सकता है कि वो पटाखा आप के हाथ में ही फट जाए।

 

पटाखे जलाते समय सूती कपडे पहने
पटाखे जलाते समय सूती कपड़े ही पहनें। अधिक ढ़ीले-ढ़ाले कपड़े न पहनें। बाल्टी में पानी रखे,पटाखे जलाते समय किसी भी एमरजेंसी के लिए एक बाल्टी में पानी भरकर तैयार रखें। साथ ही एक गीला कपड़ा भी अपने पास रखें ताकि पटाखें की कोई चिंगारी आदि लगने पर आप उससे तुरंत मल सकें।

अनार और रॉकेट
अनार और रॉकेट भी खतरनाक हैं। रॉकेट के बारूद को सीधे आंख में ही जाता है। अनार भी फट जाते है। यही चकरी का है। इसलिए दूरी बनाकर रखे।सिलेंडर के रेगुलेटर को बंद कर के रखें और भूल से भी खुले में न रखें। कानों में रुई के फाहे लगाकर रखें।

 

यदि आप गलती से जल भी जाते हैं, तो तुरंत नल के पानी से उसे तब तक धोएं जब तक कि जलन कम न हो जाए। लेकिन बर्फ के पानी का इस्तेमाल न करें।यदि आप के पैरों की उगलियां या अंगूठा जल गया हो तो वहां कोई ऐसा मलहम लगाएं जिससे उंगलियां आपस में न चिपकें।
अधिक जलने पर तुरंत हास्पिटल जाएं। इसका ध्यान रहे कि जला हुआ व्यक्ति सांस लेता रहे और अगर उसका एयरवे ब्लाक हो गया हो तो उसे अपनी सांस के द्वारा सांस देने का प्रयास करें।

 

 

जले हुए हिस्से पर किसी प्रकार का भी दबाव न पडने दें।
डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि दिवाली पर पटाखे जलाते समय विशेष तौर पर अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहिए। आंख में अगर किसी प्रकार की भी चोट लगी हो तो तुरंत नेत्र विषेशज्ञ से मिलें क्यों कि इस दिन लापरवाही के चक्कर में कई लोग अपनी आंखें भी खो बैठते हैं या कई लोग पटाखे जलाते वक्तअपनी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा बैठते हैं। बहुत से लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसलिए समूह में इकट्ठे होकर ही पटाखे जलाने चाहिए। इससे त्योहार का आनंद तो दोगुना हो ही जाता है साथ ही बमों को अकेले पटाखे जलाने का मौका नहीं मिलता जिससे कि उन्हें कोई नुकसान पहुंचे।

 

 

बच्चों को अकेले पटाखे जलाने के लिए न भेजें। बच्चों को तीर कमान से खेलने के लिए मना करें क्यों कि उससे आंखों में चोट लगने का खतरा बहुत अधिक रहता है।
दिवाली के समय आखों में कट, सुपरफिशियल एब्रेशन, ग्लोब इंज्योरी, केमिकल एण्ड थर्मल बर्न हो सकता है। पीडि़त को आंखों में दर्द, लाल होना, सूजन, जलन, आंख खोलने और बंद करने में परेशानी या फिर दिखाई न देना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ होते हैं-अनार, हवाई, तीर कमान आदि। सबसे ज्यादा क्षति तब होती है जब पटाखों को टिन या शीशे की बोतल में रखकर जलाया जाता है ताकि सबसे ज्यादा शोर हो, लेकिन इससे आसपास खड़े लोगों को बहुत नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए।

 

पत्थर और कांच के टुकड़े बहुत तेजी से उड़ते हुए किसी की भी आंख में बहुत अंदर तक चुभ सकते हैं जिससे कि आंखों में भयानक चोट लग सकती है। पटाखों के अंदर से निकला हुआ कार्बन और अन्य विशाक्त पदार्थ आंखों के उत्तकों, नसों और अन्य मुलायम लिगामेंट्स को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। आंख में चोट लगते ही आंख को नल के साफ पानी से छींटे मारें। फिॅर तुरंत किसी अच्छे डाक्टर के पास ले जाएं। अगर आप की आंखों में चोट लग जाए तो इन बातों का ध्यान रखें
चोटिल भाग को न छेड़ें और आंखों को न मलें। अगर ये सुपरफिश्यिल इंज्युरी है, तो आंखों को साफ पानी से धो लें। अगर आंखों से खून निकल रहा हो, दर्द हो या फिर साफ दिखाई न दे तो आंखों को ढंग लें और तुरंत डाक्टर के पास जाएं। अपने आप कोई उपचार न करें।
किसी भी आंख की चोट को मामूली न समझें क्यों कि छोटी सी चोट भी हमेशा के लिए आंखों की दृष्टि को हानि पहुंचा सकती है। ये छोटी-छोटी बातें और जानकारी आंखों के इलाज में मदद करती हैं जिससे पीडि़त जल्दी ही ठीक हो सकता है। ये याद रखिए कि आंखें भगवान का अमूल्य उपहार हैं और उनका ख्याल रखना हमारा परम कर्तव्य है। आंख संबंधी किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए डाक्टर से तुरंत संपर्क करें।

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