मुज्जसिम खान ,
रामपुर। देश की सर्वोच्च अदालत के आदेशों पर नेताओं से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए प्रत्येक जनपद में एमपी एमएलए कोर्ट की व्यवस्था की गई है इन दिनों स्थानीय एमपी एमएलए कोर्ट आजम खान और उनके परिवार से जुड़े मुकदमों को लेकर लगातार चर्चा में रहा है लेकिन अब इसी कोर्ट से नवाब खानदान के नवाब एवं पूर्व मंत्री काजिम अली खान को आदर्श आचार संहिता के मामले में तीन माह के साधारण कारावास के अलावा 1 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। हालांकि बाद में नवाब की जमानत भी हो गई है।
नवाब खानदान का आजादी के बाद से स्थानीय राजनीति में सक्रिय भूमिका रही है यही कारण की नवाब जुल्फिकार अली खान यहां से कई मर्तबा सांसद चुने गए और उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी बेगम नूर बानो भी दो बार सांसद चुनी गयी। नवाब जुल्फिकार अली खान अपनी मृत्यु तक कांग्रेसी रहे तो वही उनकी पत्नी बेगम नूर बानो भी अब तक कांग्रेसी ही हैं हालांकि यह बात अलग है कि उनके पुत्र नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां कांग्रेस बसपा और सपा से अलग-अलग चुनावों में विधायक रह चुके हैं। वह एक बार बसपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं फिलहाल बात 2015 की हो रही है जब उन पर आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ा मुकदमा दर्ज हुआ था। उन्हें 2017 में जमानत मिल गई थी सोमवार को स्थानीय एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें आचार संहिता उल्लंघन मामले में दोषी करार देते हुए तीन माह के साधारण कारावास के अलावा 1 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुना डाली। यह बात अलग है कि नवाब काजिम अली खान को इसी मामले में हाथ के हाथ जमानत भी मिल गई है।

नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां के वकील संदीप सक्सेना ने बताया कि आचार संहिता से संबंधित, जब यहां समाजवादी की सरकार थी उस समय सरकार के दबाव में नवाब काजिम अली खां के खिलाफ एक आचार संहिता का मुकदमा लिखा गया जो कि झूठे तत्व पर आधारित था। इस मुकदमे में गवाही हुई गवाह लोगों से जिरह किया गया जिरह के बाद बहस हुई बहस के बाद आज निर्णय ये आया की आचार संहिता में उन्हें दोषी पाया गया और 3 माह की सजा और 1 हजार रुपए के अर्थ दंड में उन्हें सजा सुनाई गई। अर्थदंड जमा किया जा चुका है और जो 3 महीने की सजा है उसके खिलाफ उनके द्वारा न्यायालय में अपील की जाएगी उन्हें पूर्ण विश्वास है कि वहां से नवाब काजिम अली खान बाइज्जत बरी होंगे , जो भी न्यायालय की प्रक्रिया होती है उसका सम्मान किया गया है और हमेशा सम्मान करते रहेंगे। यह मामला 2015 में दर्ज हुआ था और 2017 में रजिस्टर्ड हुआ है इसमें बेल हो गई है क्योंकि जो सजा है इस प्रोविजन में उसमें बेल हाथ के हाथ मिल जाती है।