-ज्योतिषाचार्य- पंडित मुकेश मिश्रा
बरेली। पितृ पक्ष समाप्ति के बाद 26 सितंबर सोमवार से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। जो 4 अक्टूबर तक चलेंगे इस बार यह पूरे 9 दिन के होंगे। सोमवार को नवरात्र शुरू होने के कारण मां भगवती गज पर सवार होकर के धरा पर आएंगी। हर साल नवरात्रि के दिन मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों में सवार होकर के धरती पर पधारती हैं। बता दें कि मां दुर्गा के वाहनों की गणना सप्ताह के दिन के हिसाब से होती है। इस साल सोमवार से नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। जिस कारण मां भगवती गज पर सवार होकर के आ रही हैं।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां की गज की सवारी बेहद शुभ सूचक मानी जाती है। अर्थात गज पर सवार होकर के मां अपने भक्तों पर धन-धान्य की खूब बरसात करेंगे। इसके साथ ही नवरात्र में कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। जो अत्यंत मंगल दायक रहेंगे। नवरात्र के पहले दिन ही पांच योग बनेंगे सोमवार का दिन ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग से प्रतिपदा पर बनने वाले योगों में शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शुक्र बुधादित्य योग, ब्रह्म योग और अमृत सिद्धि योग बनेगा। बाकी शेष 8 दिनों में तीन बार रवि योग बनेंगे 29 सितंबर 30 सितंबर और 2 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे। विशेष चतुर्थी षष्ठी और अष्टमी तिथि में रवि योग रहेंगे। यह योग सभी संकटों को दूर कर सफलता प्रदान करने में सक्षम है। ऐसे विशिष्ट संयोगों के समागम में नवरात्रि का महत्व इस बार कई गुना ज्यादा बढ़ गया है। जिस कारण मां भगवती की उपासना- आराधना से शिक्षा व धन-धान्य की प्राप्ति होगी और भक्तों के सभी मनोकामनाएं को मां भगवती पूर्ण करेगी।
ऐसे करें घटस्थापना
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। ऐसे में इस दिन घर के पूजा मंदिर में उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ रहता है। माता के लिए पूजा-चौकी पर कलश स्थापित करें। सबसे पहले कलश रखने वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें। कलश में आम, बरगद, गूलर, पीपल, पाकड के पल्लव रखें।इसके बाद कलश को जल या गंगाजल से भरें। आप चाहें तो कलश में जल भरने के बाद भी पल्लव रख सकते हैं। कलश में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ जरूर रखें।कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। संभव हो तो अक्षत से अष्टदल बनाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। अब माता को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। घटस्थापना के साथ ही अखंड दीप भी स्थापित किया जाता है। घटस्थापना करने के बाद मां शैलपुत्री का विधिवत पूजन करें। दोनों हाथों में लाल पुष्प और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करें। मां शैलपुत्री का ध्यान करने के बाद फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित कर दें। इस दिन मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं उसमें गाय के घी का इस्तेमाल करें।
घटस्थापना सुबह का मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 55 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक।