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सावन स्पेशल : आठ दरिद्रों का नाश करेगा, आठवां सोमवार,

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आचार्य मुकेश मिश्रा,स्वतंत्र लेखक,

बरेली ।  सावन माह में  भक्त भगवान शिव की शरण में रहते हैं। उनकी पूजा- अर्चना और जलाभिषेक करते हैं। क्योंकि, सावन का महीना भोलेनाथ को सर्वाधिक प्रिय है और सावन के सोमवार तो भोलेनाथ को विशेष रूप से समर्पित माने गए हैं। इस बार अधिक मास के कारण सावन में आठ सोमवार का संयोग बना। जिसमें सात सोमवारों को भक्तों ने धूमधाम के साथ जलाभिषेक पूजा आराधना की।

 

अधिक मास युक्त सावन का आठवां सोमवार बहुत ही खास रहने वाला है। क्योंकि आठवां सोमवार अष्ट दरिद्र विनाशक होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार आयु, आरोग्य, अभिवृद्धि, पुत्र- पौत्र, धन -धान्य, सफलता, शांति और कीर्ति यह आठ ऐश्वर्य माने गए हैं और इन आठ प्रकार के ऐश्वर्य का अभाव ही अष्ट दरिद्र कहा जाता है। जिनके जीवन में इन आठ ऐश्वर्य का अभाव है। तो सावन के इस आठवें सोमवार को पूजन -अर्चन, जलाभिषेक करने से भोले बाबा की कृपा से अभाव प्रभाव में बदल जाएगा।

 

जिन जातकों की कुंडली में किसी भी प्रकार का कोई भी ग्रह दोष है। जिस कारण जीवन में चहुंओर से असफलता ही मिलती है। ऐसे जातकों को को इस आठवें सोमवार में विशेष रुप से भोले बाबा का रुद्राभिषेक करना चाहिए। इससे समस्त ग्रह वाधा शांत होगी और जीवन सुखमय और समृद्ध कारक होगा।

 

सौभाग्यता के लिए शिव देंगे आयुष्मान का वरदान
सावन का अंतिम यानी आठवां सोमवार बड़ा विशेष रहने वाला है क्योंकि सावन माह की विदाई का अंतिम सोमवार में त्रिभुवन स्वामी देवाधिदेव महादेव अपने भक्तों को सौभाग्यता की वृद्धि के लिए आयुष्मान का वरदान देंगे। क्योंकि ज्योतिष के अनुसार अंतिम सोमवार को प्रातः 9:54 तक आयुष्मान योग रहेगा। उसके उपरांत सौभाग्य योग व्याप्त हो जाएगा। इन दो योगों का संयोग अंतिम सोमवार के महत्व को कई गुना अधिक बढ़ाएगा। क्योंकि यह दोनों योग ज्योतिष में विशेष अहमियत रखते हैं। बता दें, इन योगो में पूजा- पाठ, जलाभिषेक, व्रत -उपवास आदि करने से आर्थिक तंगी और जीवन की परेशानियां से मुक्ति मिलती है और जातकों को आयु,यश- वैभव, धन -संपन्नता की प्राप्ति सरलता से होती है। कुल मिलाकर के अंतिम सोमवार को भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसा कर सभी अभिलाषाओं को परिपूर्ण करेंगे।

 

शिव पुष्पांजलि का सोमवार
अब सावन समाप्ति की ओर बढ़ चला है। ऐसे में जिन जातकों ने सावन में किसी कारण पूजा पाठ जलाभिषेक नहीं किया है। तो ऐसे जातकों के लिए अंतिम सोमवार विशेष महत्व रखता है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा पाठ के अंत में अगर कोई भक्त पुष्पांजलि भी अर्पण करता है तो उसे पूजा पाठ का पूर्ण फल मिलता है। ऐसे ही अंतिम सोमवार भी पुष्पांजलि की तरह है।अंतिम सोमवार को पूजा अर्चना करने से पूर्ण फल प्राप्त होगा। यानी अंतिम सोमवार में पुष्पांजलि यानी समर्पण भाव भगवान को निवेदित करें भगवान भोलेनाथ है जो पूर्ण कृपा बरसाएंगे।

 

 

 

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