बरेली। आगामी 17 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जी की जयन्ती को प्रदेश के समस्त जनपदों में भव्य रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि होने का गौरव प्राप्त है जिन्होंने विश्व प्रसिद्व कालजयी कृति रामायण महाकाव्य की रचना की है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण सामाजिक मूल्यों, मानव मूल्यों एवं राष्ट्र मूल्यों की स्थापना का आर्दश प्रस्तुत करती है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित स्थल जिन्हें राम जानकी मार्ग, राम वन-गमन मार्ग आदि के रूप में माना जाता है, सम्पूर्ण भारत वर्ष में लगभग 280 स्थलों के रूप में आज भी विद्यमान हैं।
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उत्तर प्रदेश में राम जानकी मार्ग तथा राम वन-गमन मार्ग के अन्तर्गत अनेक अनेक स्थल विद्यमान है जहॉ भारतीय संस्कृति के मूल तत्व एवं मान्यताएं सुरक्षित हैं।वाल्मीकि रामायण में निहित मानव मूल्यों, सामाजिक मूल्यों व राष्ट्र मूल्यों के व्यापक प्रचार व जनमानस को इससे जोड़ने के लिए महर्षि वाल्मीकि से सम्बन्धित स्थलों एवं मंदिरों आदि पर दीप प्रज्जवलन के साथ-साथ अनवरत् 8, 12 अथवा 24 घण्टे का वाल्मीकि रामायण का पाठ किये जाने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इसके अन्तर्गत श्रीराम व श्री हनुमान तथा रामायण पाठ एवं भजन आदि के कार्यक्रम कराये जायेंगे। इन कार्यक्रमों के आयोजन हेतु स्थानीय स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक दलों एवं कलाकारों का चयन संस्कृति विभाग द्वारा किया जायेगा।यह जानकारी नगर मजिस्ट्रेट ने राजीव कुमार शुक्ला ने दी है।