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नवरात्रि आज से , भक्तों की मुराद पूर्ण करने के लिए नौका पर सवार होकर आएंगी माँ शेरावाली,

 

-इस बार पूरे 9 दिन के होंगे नवरात्र,

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बरेली: हिंदू नव संवत्सर के वासंतिक नवरात्र 22 मार्च यानी आज बुधवार से शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन के होंगे जो 30 मार्च गुरुवार तक चलेंगे।साथ ही ज्योतिष के अनुसार नव संवत्सर 2080 की शुरुआत भी इसी दिन से प्रारंभ होगी। बता दें, इस वर्ष के राजा बुध ग्रह रहेंगे। वही मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। यानी इस वर्ष राजा और मंत्री दोनों ही बहुत ही शुभ फलदायक होंगे। देवी भागवत के अनुसार बुधवार से नवरात्र का शुभारंभ होगा। जिस कारण देवी नौका पर सवार होकर आएंगी। नाव पर मां दुर्गा का आगमन बहुत ही शुभ होता है। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि में विधि विधान से माता की पूजा करने से भक्तों को हर कार्य में सफलता मिलती है। जिस प्रकार मां के आगमन की सवारी होती है। वैसे ही मां की विदा होने के दिन के अनुसार मां की प्रस्थान की भी सवारी होती है। इस बार मां का प्रस्थान हाथी पर होगा हाथी पर प्रस्थान होना भी शुभ संकेत माना जा रहा है हाथी प्रस्थान का अर्थ है कि अच्छी बारिश होने के आसार रहने वाले हैं। यानी इस बार की चेत्र नवरात्रि लोगों के लिए बहुत ही सुखद रहने वाली है क्योंकि मां दुर्गा का नाव पर आगमन और हाथी पर प्रस्थान करना दोनों को ही शुभ माना जाता है।

 

 

 

दुर्लभ योगों का संयोग लाएगा खुशहाली

इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शुभ संयोग में हो रही है। इस दिन सूर्य, चंद्र, बुध और गुरु ग्रह एक साथ चतुर्ग्रही योग बना कर मीन राशि में गोचर कर रहे होंगे। साथ ही शुक्ल और ब्रह्म योग का भी संयोग भी नवरात्रि को मंगलकारी बना रहा है।ऐसे शुभ संयोगों के कारण चैत्र नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहने वाला है।नवरात्रि के प्रारंभ के समय में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र रहेगा। शास्त्रों में इस नक्षत्र को ज्ञान खुशी और सौभाग्य का सूचक माना गया है।

 

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा

घट स्थापना के लिए चौघड़िया मुहूर्त

लाभ, अमृत का चौघड़िया प्रातः 6:16 से 9:18 तक

शुभ का चौघड़िया प्रातः 10:49 से मध्यान्ह 12:19 तक

घटस्थापना की पूजा विधि
घट स्थापना के लिए चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मिट्टी का कलश लें और उसे शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित कर दें। घट स्थापना से पहले थोड़े से चावल डालें इसके बाद कलश इसके ऊपर रखें और कलश के ऊपर एक लाल चुनरी से नारियल बांधकर रख दें। याद रखें की एक रुपए का सिक्का जल में जरूर डाले। साथ ही कलश पर कलावा जरुर बांधे। कलश पर स्वास्तिक जरुर बनाएं। इस बात का ख्याल रखें की आप जहां कलश की स्थापना कर रहें हैं वह जगह साफ हो। साथ ही ध्यान रखें की पूजा स्थल के ऊपर कोई भी अलमारी या सामान न हो। गणेश, सूर्य ,विष्णु ,शिव और मां दुर्गा की आराधना करें। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ समस्त दुखों का अंत करता है। और भगवती की कृपा से सुखों की बारिश होती है।

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