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 बुधादित्य योग में मनेगी योगिनी एकादशी,14 जून को  होगा एकादशी व्रत पूजन,

व्रत पूजन करने से सभी ग्रह दोष होंगे दूर,खुलेगा मोक्ष का द्वार,

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-आचार्य मुकेश मिश्रा
बरेली: वर्ष भर में होने वाली 24 एकादशीयों में प्रमुख आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का धर्म शास्त्रों में अनंत महत्व बताया गया है। योगिनी एकादशी आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह एकादशी सभी एकादशियों में से खास मानी जाती है। हिंदू धर्म की मानें तो योगिनी एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष मिलता है और सभी पापों व श्रापों से मुक्ति मिलती है।

 

 

साथ ही जीवन और घर में खुशहाली आती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की महत्ती कृपा की वर्षा भक्तों पर होती है। इस व्रत को रखने वाले को धन, धान्य, यश-वैभव के साथ संपन्नता मिलती है। अंत में जीव को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।इस बार योगिनी एकदाशी का मान 13 जून को प्रात: 9.28 बजे से शुरू हो जाएगा, जो कि 14 जून को प्रात: 8.47 बजे तक रहेगा। उदया तिथि की प्रधानता के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत पूजन अर्चन 14 जून को किया जाएगा। व्रत का पारण 15 जून को किया जाएगा।

 

योगिनी एकादशी की पौराणिक मान्यता
पदम पुराण के मुताबिक भव सागर में डूबे प्राणियों के लिए इसे सारभूत व्रत भी माना गया है। इस पर्व से जुड़ी अंतर्कथा के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से इस व्रत का माहात्म्य पूछा था। इस पर श्री कृष्ण ने बतलाया कि अलकापुरी के शिव भक्त कुबेर ने अपने एक दास हेममाली को शिव पूजन हेतु पुष्प लाने भेजा किन्तु हेममाली अपनी सुन्दर पत्नी विशालाक्षी के सौन्दर्य में डूबकर कुबेर की आज्ञा का उल्लंघन कर बैठा। अत: कुबेर के शाप से हेममाली कोढ़ग्रस्त हो गया। कालान्तर में मुनिवर मार्कण्डेय ने हेममाली को योगिनी एकादशी के व्रत का सुझाव दिया। इस व्रत को करने से हेममाली शाप मुक्त हुआ। अत: इस व्रत को पाप विनाशक तथा पुण्य फलदायक माना गया है।

 

बुधादित्य योग बनाएगा एकादशी को खास
ज्योतिष के अनुसार इस बार एकादशी में वृषभ राशि में सूर्य, बूध एक साथ गोचर करेंगे। जिससे बुधादित्य योग बनेगा। इस योग में कि गई पूजा का सैकड़ों गुणा अधिक फल की प्राप्ति होती है। जीवन में आई सभी समस्याओं के समन के लिए बुधादित्य योग विशेष महत्व रखता है। इस योग में पूजा-अर्चना करने से धन संपदा की कोई कमी नहीं रहती और वह पद-प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त करता है।

*व्रत- पूजन के नियम*
योगिनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर सादा भोजन ग्रहण करना चाहिये और ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। हो सके तो जमीन पर ही सोएं। प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निजात पाकर स्नानादि के पश्चात व्रत का संकल्प लें। फिर कुंभस्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति रख उनकी पूजा करें। भगवान नारायण की मूर्ति को स्नानादि करवाकर भोग लगायें। इसके बाद पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। पूजा स्वयं भी कर सकते हैं। दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरुर सुननी चाहिये। इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है।

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