ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ,
बरेली।अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयदशमी का पावन पर्व इस बार कई शुभ संयोगो में मनाया जाएगा। इस बार श्रवण नक्षत्र होने से इस त्यौहार की महत्वा कई गुना अधिक बढ़ गई है। इसके अलावा दशहरा पर तीन अन्य शुभ योगों का भी संयोग रहेगा। बता दे, रवि,सुकर्मा और धृति योगों का संगम होगा। जिस कारण यह पर्व अत्यंत मंगलकारी हो गया है। वैसे तो विजयदशमी को स्वयं सिद्ध मुहूर्त में माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन कोई नया कार्य शुरू कर सकते हैं। साथ ही जमीन जायदाद की खरीदारी सोने के आभूषण, कार, मोटरसाइकिल और हर तरह की खरीदारी करने से अनंत लाभ होगा।
यह पर्व शरद नवरात्र के 10वें दिन पड़ता है। इसी दिन शारदीय नवरात्र के नौ दुर्गा पूजन का आखिरी दिन होता है।इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन ही शस्त्र पूजा करने का विधान भी है।
चूंकि दशहरा के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और श्रीराम ने रावण पर जीत हासिल की इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मानते हैं। श्रीराम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं, तो वहीं मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं इस पर्व से लोगों को शक्ति के साथ मर्यादित, धर्मनिष्ठ और उच्च आदर्शों के साथ जीवन जीने की सीख मिलती है।
दशहरा पर नीलकंठ देखना शुभ
मान्यता है कि नीलकंड पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है।पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है।
विजय दशमी का शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से लेकर 2 बजकर 53 मिनट तक
अमृत काल: बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 32 से लेकर दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक
दुर्मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक