ज्योतिषाचार्य -आचार्य मुकेश मिश्रा,
बरेली। अमृतमयी रात्रि यानी शरद पूर्णिमा इस बार नौ अक्टूबर रविवार में मनाई जाएगी। धर्म शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा रात्रि में चंद्रमा की किरण भी अमृतमयी हो जाती हैं। जिससे प्रकृति और मनुष्य के मन पर चंद्रमा का बेहद शुभ प्रभाव रहता है। सबसे खास बात तो यह है कि इस बार शरद पूर्णिमा को ध्रुव योग का संयोग रहेगा यह योग सौभाग्य का सितारा चमकाने का कारक माना जाता है।
आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस दिन बुधादित्य योग का भी निर्माण होगा। शनि भी स्वराशि में विद्यमान रहेंगे जिससे शश योग का निर्माण होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन रहेगा। ऐसे दुर्लभ संयोग बरसों बाद देखने को मिलते है। यह योग पूजा पाठ लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष फलदाई होंगे। अगर इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाए तो लक्ष्मी की प्राप्ति सहजता से होती है। मान्यता है कि इस रात लक्ष्मी भी धरती पर भ्रमण के लिए आती हैं, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है।
निरोगी रहने के लिए इस दिन पूजा-पाठ अवश्य करना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए यह पूर्णिमा वरदान की तरह मानी गई है। इसी रात्रि में भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं इस दिन को शरद ऋतु का द्वार कहा जाता है। इसलिए इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। बता दें, ग्रह- नक्षत्र, सितारों का शुभ संयोग बनने से शरद पूर्णिमा पर खरीदारी और नए काम शुरू करना बेहद मंगलकारी होगा। इन शुभ संयोग में प्रॉपर्टी निवेश और महत्वपूर्ण लेनदेन करने से धन लाभ होने की संभावना और बढ़ेगी। जांब और बिजनेस करने वाले लोगों के लिए यह पूरा दिन लाभकारी और फलदायक होता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चन्द्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। इस दिन चांदनी रात में दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, इससे विषाणु दूर रहते हैं। शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में खीर रखने का विधान है। खीर में मौजूद सभी सामग्री जैसे दूध,चीनी और चावल कारक भी चन्द्रमा ही है।,अतः इनमें चन्द्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है। शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर पर जब चन्द्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत तुल्य हो जाती है। जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। प्राकृतिक चिकित्सालयों में तो इस खीर का सेवन कुछ औषधियां मिलाकर दमा के रोगियों को भी कराया जाता है। यह खीर पित्तशामक,शीतल,सात्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है।
इन उपायों से दूर होंगे संकट और होगा लाभ
– इस रात में ग्रहण की गई औषधि बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है।
-शरद पूर्णिमा पर चंद्र की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती हैं। इसलिए इस रात में कुछ देर चांदनी में बैठना चाहिए। ऐसा करने पर मन को शांति मिलती है। तनाव दूर होता है।
शरद पूर्णिमा में घर के बाहर दीपक जलाएं
शरद पूर्णिमा में घर के बाहर दीपक जलाने से सकारात्मकता बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा में चंद्रमा खुली आंखों से देखना चाहिए, इससे आंखों की समस्या दूर होती है।