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ए स्पेशल स्टोरी : इस रात की सुबह नहीं , आजादी से आजतक भीख मांगने की प्रथा बदस्तूर जारी,

 

भीम मनोहर

बरेली | जून का गर्मी वाला महीना  ,
समय 11 बजे ,
जगह अलखनाथ मंदिर फाटक

देश को आजाद हुए लम्बा समय गुजर चुका है | भारत  जमीन से चांद पर पहुंचने की कोशिश कर चुका है | गगनचुंबी इमारतें यहाँ के विकास की कहानी को बयां कर रही है | लेकिन इसके बावजूद हम कुछ ऐसे परम्पराओं को रोक नहीं पाए जो पूरे देश के विकास के पर सवाल उठाती है | किला थाना क्षेत्र  का अलखनाथ मंदिर बरेली मंडल का ऐसा धार्मिक स्थल है जहां छोटे से बड़े उद्योगपति , मजदूर सरकारी नौकर बाबा अलखनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते है | यही वजह है यहां भीख मांगने वालों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है | लेकिन कोरोना काल में यहाँ के भिखारियों को दोहरी मार लगी एक तरफ लोगो ने कोविड गाइड के चलते  मंदिर पर आना बंद किया कर दिया तो वही भिखारियों के अपनों ने भी दूरी बना ली | भारत में भीख मांगने की परम्परा आदिकाल से है | और खास बात यह भी है कि यहां भीख मांगना भी अपराध है |

मंदिर के फाटक के सामने का नजारा 

अलखनाथ मंदिर के  फाटक से सटी एक रोड़ पर करीब 20 -से 30 भिखारी रहते है | यह भिखारी खुले आकाश के नीचे गर्मी – जाड़े -बरसात में  रहते है और मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचने वालों के दिए दान पर अपना जीवन यापन करते है | यहां के भीख मांगने वालो ने अपने रहने के लिए टेंटनुमा घर भी बना रखे है | इन टेंटनुमा घर में 2 से 3 लोग लोग रहते है | यहां साफ सफाई की कोई खास व्यवस्था तो नहीं होती पर ठन्डे पानी के मिट्टी के बर्तन की व्यवस्था होती है | इनके सोने  के बिस्तर देखेंगे तो लगेगा सालों से धोया नहीं गया है पर यहां के रहने वालों में उम्मीद इतनी ज्यादा एक दिन सब सब सही होगा , अपना भी घर होगा | बरसात के दिनों में मंदिर परिसर में रहकर अपने को सुरक्षित रखने की कोशिश करते है |


अपनों के सताए है अधिकतर भिखारी 

अलखनाथ मंदिर के फाटक पर मांगने वाले अधिकतर भिखारी पिछले दस सालों से भीख मांग रहे है | सभी की अपनी अपनी कहानी है कोई बताना चाहता है तो कोई दुनिया के सामने लाने से परहेज करता है | कुछ का कहना है जैसे जैसे उनकी उम्र बड़ी तो परिवार के लोगो ने उनसे दूरी बना ली।  तो कुछ का कहना है कि उनकी दिव्यांगता और बीमारी ने उन्हें भीख मांगने से मजबूर कर दिया |

प्रशासन भिखारियों की जिंदगी में भर सकता है रंग 

भारत सरकार गरीबों और असहाय लोगो की मदद के लिए कई योजनाए चला रहा है | लेकिन यह योजनाएं उन लोगो के पास पहुंच नहीं पा रही है , जिन्हे सबसे ज्यादा जरुरत है | अगर सरकार खुद पीड़ित तक पहुंचे और सर्वे कराके सही स्थिति जान ले और जरुरत के हिसाब से प्रशासनिक कैंप करा ले तो यह वर्षो पुरानी तश्वीर बदली हुई दिख सकती है | भिखारियों का कहना है कि उन्हें पीएम आवास की जानकारी तो है लेकिन यह नहीं पता उन्हें कैसे मिलेगा , उनके पास तो अपनी पहचान का कोई प्रमाण पत्र भी नहीं है |

 

समाजसेवी मदद करे तो स्मार्ट शहर में भिखारी भी हो सकते है स्मार्ट 

बरेली शहर में ऐसे कई बड़े उद्योगपति है उनकी मदद से  भीख मांगने की प्रथा  पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है | कुछ उद्योगपति भिखारियों के जीवन को सुधारने के लिए योजना बना ले और भिखारियों की  कॉउंसलिंग करा दे तो यह संभव है एक आदमी दूसरे आदमी से भीख नहीं मांगेगा |

क्या कहता है भीख मांगने के संबंध में कानून : 

भारत का संविधान भीख मांगने को अपराध बताया गया है | इसके बावजूद बरेली सहित यूपी के कई जिलों में बच्चे- बुजुर्ग भीख मांगते नजर आते है | वही  बंबई भिक्षावृत्ति रोकथाम अधिनियम, 1959 के प्रावधान, जिनमें भीख मांगने को एक अपराध के रूप में माना गया है| एक जानकारी के मुताबिक देश से प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में बच्चे गायब होते है लेकिन उसके एक चौथाई बच्चे बरामद नहीं हो पाते |

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