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आजम खान के घर पहुंचे आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी, बोले बड़ी हिम्मत वाला है यह परिवार 

मुजस्सिम खान ,

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उत्तर प्रदेश का रामपुर समाजवादी पार्टी का मजबूत किला माना जाता है । कारण इसके पीछे साफ है कि यहां पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के अल्फाजों की बहुत बड़ी अहमियत है । यही कारण है कि देश या प्रदेश में सरकार किसी की भी हो लेकिन रामपुर में वोटों की सरकार आजम खां की ही बनती है। वह पिछले 2 साल से अधिक समय से सीतापुर की जेल में बंद है विधानसभा के चुनाव निपट चुके हैं लेकिन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उनको लेकर किसी खास जगह पर सहानुभूति भरे दो शब्द तक नहीं बोले हैं। इसी के चलते स्थानीय समाजवादी उनसे खासा नाराज हैं। लेकिन इन सबके बीच आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी अचानक आजम खान के घर पहुंच गए जहां पर उन्होंने उनकी पत्नी तंजीम फातिमा एवं अब्दुल्लाह आजम से मुलाकात की है। अब इस मुलाकात के क्या मायने हैं इस बात का तो खुलासा नहीं हो सका है। लेकिन हां उनकी यहां पर मौजूदगी ने सियासी गलियारों में जरूर हलचल पैदा कर दी है |

आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी के सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के घर पहुंचने के क्या मायने हैं जबकि वैसे पहले कई मर्तबा रामपुर आए लेकिन इन सबके बीच उन्हें आजम खान के घर पहुंचने की फुर्सत नहीं मिली लेकिन आज वह अचानक से उनके घर पहुंचे हैं यह जरूर हैरत की बात है अब इस पर सियासी मंथन होना जरूरी है हालांकि यह बात अलग है कि जयंत चौधरी ने मीडिया से मुखातिब होकर आजम खान से पुश्तैनी रिश्ते बताए हैं वही वह सपा गठबंधन में भी मुख्य राजनीतिक दल के मुखिया के रूप में शामिल हैं।

 

 

आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के मुताबिक मैं आज उनके परिजनों से मिलने आया था साथ ही यहां आजम खान जी जो बहुत सीनियर नेता है बहुत रेस्पेक्टेड नेता है वरिष्ठ नेता है और जिस परिवार के तालुकात मेरे परिवार से तीन पीढ़ी के हैं मैं आज उनके परिवार से अब्दुल्ला से उनकी माता जी से मिलकर आया हूं। यह तो लोकतंत्र में होता है सबकी अलग-अलग राय होती है एक दल में भी अलग-अलग राय हो सकती है और आंतरिक लोकतंत्र का यही प्रमाण होता है की आजादी मिलनी चाहिए कार्यकर्ताओं को जब कोई हार हुई है उसकी समीक्षाएं भी हो रही है हम लोग भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कहां क्या कमियां हुई है कैसे हम उनको दूर करें ताकि जो अगला पड़ाव होगा लोकतंत्र को बचाने के लिए देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए किसान और गरीब की और सेवा करने के लिए और बेहतर तरीके से प्रदर्शन कर पाए। मेरे लिए उस पर कहना कुछ उचित नहीं होगा वह उनके दल का विषय है देखिए मैं किसी और नेता के विपक्ष को यहां नहीं रख सकता ना ही कोई सफाई देने आया हूं मैं इतना ही कहूंगा कि मेरी संवेदनाएं इस परिवार के साथ है चौधरी अजीत सिंह जी आजम साहब का बहुत पसंद करते थे और हमारी इच्छा है जिस तरह से उन्हें प्रताड़ित किया गया है इस परिवार को यह लोग हिम्मत वाले हैं यह लड़ते रहे।

 

मुलाकात यही हुई उन्होंने बताया कैसे जो मुकदमे दर्ज हुए उनके स्वास्थ्य के बारे में मेदांता में किस तरीके से उनके साथ उनको उम्मीद थी प्रशासन की तरफ से उनको एक राहत मिलनी चाहिए थी वह नहीं हो पाई और अभी भी कोर्ट में जो सुनवाई चल रही है जब जजमेंट उनके बेल का आर्डर रिजर्व हो चुका है कई महीने से जिस तरह से उस पर सुनवाई होनी चाहिए थी उस गति से नहीं हो पा रही है तो यह क्यों निराश आएं हैं लेकिन वही मैंने अब्दुल्ला से बात की मैंने महसूस किया की बहुत कम उम्र में एक अच्छे मनोबल वाले एक जनप्रतिनिधि जनता को मिले बहुत हिम्मत वाले हैं इनका जज्बा है कि लड़ते रहे। यह गैर कानूनी है गैर सविधान है इसका कानून में कोई अधिकार नहीं है अमानवीय है अब यह सोचिए किसी ने कोई क्राइम भी किया है वह अपराधी भी है उसको भी सिस्टम के तहत सुनवाई होनी चाहिए सुनवाई का हक उसका भी हैं। नहीं नहीं हमारी अच्छी बात आवरण में अच्छी बातचीत हमने करी है प्रेम की बातें करी है आपस में आगे कैसे हम लोग साथ चलें सुधार कैसे होगा मैंने आपको बताया कि उनकी नाराजगी सिस्टम से जो न्याय इनको मिलना चाहिए था उससे इनको वंचित रखा गया है।

 

मिलने के लिए क्या है वह जेल के अंदर है। कहीं भी किसी गरीब के साथ अत्याचार होगा मैं बोलूंगा सीतापुर में बदतमीज ने जब बयान दिया तो में बोला रिट्वीट मैंने किया और मुजफ्फरनगर में राजपाल बलिया हमारे विधायक हैं उन्होंने बोला। मैं नहीं समझता उस न्योते पर मैं कुछ कह सकता हूं देखिए सियासत तो किस ओर चल रही है आप देख सकते हो हरिद्वार को एक खराब वातावरण में उसको तब्दील कर दिया गया जो त्यौहार आपस में मनाने के होते थे जो भाईचारा बनाए रखने के लिए होते थे एक मोहल्ले के लोग दूसरे मोहल्ले में जाकर मिठाई बांटे थे आज तलवार लेकर जा रहे हैं नौजवानों को भी सोचना चाहिए कितनी समस्याएं है यहां कोई सुनवाई नौजवानों की नहीं हो रही सेना में भर्ती नहीं हो रही और सभी सरकारी व्यवस्थाएं चौपट है महंगाई का आलम है बेरोजगारी का आलम है इन सवालों को लेकर नौजवानों को सड़क पर आना चाहिए। कौन विरोध कर रहा है कोई विरोध नहीं कर रहा है ये कोई विरोध नहीं होता यह एक निराशा होती है और निराशा को दूर करके फिर लड़ाई लड़ी जाएगी।

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