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आजम खान का  चीन के मुद्दे पर सरकार पर हमला : हम दुश्मन से नहीं लड़ते – भाई से भाई को लड़ाते है : आजम खान 

मुजस्सिम खान ,

उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर में हो रहे लोकसभा उपचुनाव मे भले ही समाजवादी पार्टी ने आसिम राजा को पार्टी प्रत्याशी बनाया हो और उनके मुकाबले भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी ने ताल ठोकी हो और वही सपा की विचारधारा की लड़ाई भाजपा से हो लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के शब्दों की बौछार कांग्रेस पार्टी पर हो रही है वह संजय गांधी से लेकर कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाले नवाब परिवार पर ही कटाक्ष कर रहे हैं आजम खान की बयान बाजी से यह जाहिर हो रहा है कि इस उपचुनाव में आसिम राजा नहीं बल्कि आजम खान खुद चुनाव मैदान में है और उनका मुकाबला नवाब खानदान से है जबकि कांग्रेस ने यहां से किसी को प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन धीरे-धीरे माहौल 2 साल बाद यानी 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव की तैयारी को लेकर बनाया जा रहा है।

रामपुर के बिलासपुर की जनसभा में  सपा नेता आजम खान  ने चीन विवाद पर सरकार पर तंज कसते हुए  आजम ने अपनी बात इस तरह की कही  कि कोई  बर्दाश्त नहीं करता -कोई ट्रेन में नहीं चल सकता बस में नहीं बैठ सकता सफर नहीं कर सकता अपनी शिनाख्त नहीं बता सकता अपना नाम नहीं बता सकता धर्म के पेशवाओं का अपमान होता है यह है इंसानियत इस तरह हम विश्व गुरु बनेंगे ,पैग़ंबरे इस्लाम की तौहीन करके हम विश्व गुरु बनेंगे दुनिया तबाह हुए जा रही है और हम उससे सबक नहीं लेते हम रूस और यूक्रेन की जंग से सबक नहीं लेते चीन ने हमारे ऊपर कितना बड़ा कब्जा कर रखा है हम उससे सबक नहीं लेते ,हम दुश्मन से नहीं लड़ते भाई से भाई को लड़ाते हैं।

 

 

 

 

वही आजम खान ने  अपने ऊपर हुए मुकदमों का जिक्र करते हुए कहा इतने बहुत से मुकदमात होने के बावजूद भी एक मुकदमा भी हुकूमत मेरे ऊपर करप्शन का बेईमानी का या रिश्वत का नहीं कायम कर सकी ना जाने कितने लोगों का भला हुआ होगा, सख्त फैसले भी हुए होंगे कुछ को पसंद होंगे और कुछ को ना पसंद होंगे उन्हीं फैसलों में एक बड़ा फैसला बल्कि दो बड़े फैसले थे एक मेरे ज़मीर पर बड़ा बोझ था जब मैं किसी बूढ़े शख्स को रिक्शा चलाते हुए देखता था सियासत की शुरुआत बहुत अच्छे माहौल में नहीं हो गई मुल्क में इमरजेंसी लगी आपातकाल जिसे कहा गया मिसेज इंदिरा गांधी हिंदुस्तान की वजीरे आजम थी और मैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वकालत की बड़ी डिग्री पढ़ रहा था यूनियन का सेक्रेटरी था और तमाम यूनियन के उदे-दौरान पूरे हिंदुस्तान में गिरफ्तार किए जा रहे थे उस वक्त मैं भी गिरफ्तार हुआ और अलीगढ़ की जेल में यह बड़ा मेरे नसीब में इत्तेफाक है के जब जिंदगी की शुरुआत हुई तब भी बहुत सख्त हुई और जब जिंदगी इस मरहाली में है  तब भी इंतिहान बहुत सख्त है उस वक्त भी मुझे तकरीबन 40 दिन एक ऐसी कोठरी में रखा गया जो जमीन में ज्यादा थी और सिर्फ रोशनदान की जगह थी जो जमीन के ऊपर थी और इस कोठरी में कभी बड़ा नामवर डाकू सुंदर डाकू रखा गया था जिसका हुकूमत के बाद में एनकाउंटर कराया था मैं नहीं जानता कि मेरे साथ उस वक्त की कांग्रेस पार्टी ने या सरकार ने ऐसा क्यों किया डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के तहत मुझ पर मुकदमा कायम हुआ उसमें मेरी जमानत हो गई और जैसे ही जमानत का ऑर्डर आया वैसे ही मीसा का भी आदेश जेल में आ गया और फिर मुझे बनारस की जेल भेज दिया गया।

आजम खान ने यह भी  कहा लेकिन ढाई साल का अरसा ही गुजरा था हिंदुस्तान के लोग अपने पर हुए इमरजेंसी के जुल्म को भूल गए क्या जुल्म था इमरजेंसी का मिसेज इंदिरा गांधी के बेटे ने कहा तुर्कमान गेट को देखकर कि यह छोटा पाकिस्तान मुझे बर्दाश्त नहीं होता मैं अपने हिंदू भाइयों से कहना चाहता हूं कि हमारी साझा विरासत है सैकड़ों हजारों साल की हमारी तारीख हमारा इतिहास है के हम एक साथ रहे हैं एक साथ जिए हैं एक साथ मरे हैं और इसी को गंगा जमुनी तहजीब कहा गया लेकिन आज यह जुमला होकर रह गया सच्चाई नहीं रही और नतीजा क्या हुआ नतीजा यह हुआ कि तुर्कमान गेट पर सारी सड़क खून से नहा दी गई देशभक्ति के नाम पर बहुत  ज्यादाती हुई लोगों के साथ न जाने कैसे ऐसे वाक्यात हुए जिनका जिक्र आज यहां करने से आपका दिल दुखेगा और मैं नहीं चाहता कि आधी सदी गुजरने के बाद उन जख्मों को याद दिलाया जाए उन जख्मों को कुरेदा जाए लेकिन देखो साथियों मैं हमेशा कहता था की मालिक कहता है की इंसाफ करो जमीन वालों जमीन वालों के साथ इंसाफ करो और अगर तुम इंसाफ नहीं करोगे तो फिर हम इंसाफ करेंगे और जब हम इंसाफ करेंगे तो तुम उसे बर्दाश्त नहीं कर सकोगे जानते हो क्या हुआ मिसेज इंदिरा गांधी का वही बेटा जिसने नसबंदी के नाम पर हर जुल्म किया था जहाज से उड़ा था और जब जमीन पर गिरा था तो मां अपने बेटे की शक्ल नहीं पहचान पाई थी।

आजम खान ने कहा लेकिन इमरजेंसी की जेल में और आज के इस दौर में एक बुनियादी फर्क है इमरजेंसी होने के बावजूद भी मुल्क में इस बात की उम्मीद बाकी थी कि लोकतंत्र वापस आएगा एक बूढ़ा शक्स जो बीमार था लेकिन हौसलों से जवान था बिस्तर पर था और उसका नाम था जयप्रकाश नारायण उन्होंने अपने बिस्तर से एक इंकलाबी नारा दिया के निजाम बदल दो जो निजाम इंसानों को इंसाफ ना दे सके जो सरकार दस्तूर की फौजदारी ना कर सके संविधान की हिफाजत ना कर सके पूरे मुल्क को कैद खाना बना दें एक ऐसी सरकार को पलट देना चाहिए और एक बूढ़े आदमी के कहने पर हिंदुस्तान की सियासत का तख्ता पलट गया और हिंदुस्तान की इस तरह सियासत बदली कांग्रेस का हिंदुस्तान से सफाया हो गया मिसेज इंदिरा गांधी इलेक्शन हार गई पार्लियामेंट में मुतालबा हुआ मिसेज इंदिरा गांधी को सख्त सजा दी जाए मिसेज इंदिरा गांधी का पासपोर्ट जप्त कर लिया गया ताकि बैरूने-ए-मुल्क भाग ना जाए।

आजम खान ने कहा गोल्डन टेंपल के साथ क्या हुआ था भूल गए आप लोग नारा लगा था देखिए एक सरकार की देश के गद्दार की उस वक्त कोई सिक्ख नहीं था कोई शख्स नहीं था जो उत्तर प्रदेश की विधानसभा में क्योंकि यह मामला हिंदुस्तान का था लेकिन उत्तर प्रदेश की विधानसभा में आज भी हमारी रिकॉर्डेड तकरीर है कि यह नारा देने वाले कभी देश के वफादार नहीं हो सकते की बेटी है सरदार की देश के गद्दार की लेकिन आप तो भूल गए आप भूल गए आप टाडा को भूल गए आप पर हुए जुल्म को भूल गए मुलायम सिंह यादव का  सुलूक भूल गए आप के गुरुद्वारे में जाकर हमने ऐलान किया था के सब की रिहाई कर देगी हमारी सरकार यह फैसला लिया गया है भूल गए आप।

आजम खान ने कहा कोई बात याद नहीं रहेगी लेकिन इतिहास जुल्म को भी याद रखेगा जालिम को भी याद रखेगा और जुल्म को सहने वाले को भी याद रखेगा और जुल्म को सहने वाला जुल्म करने वाले से ज्यादा बड़ा गुनहगार है और यह गुनाह किया है आपने हमने भी किया है हमारी मस्जिद का भी जब ताला खुला था तब भी एक नाइंसाफी हुई थी लेकिन उसके बाद क्या हुआ था मिसेज इंदिरा गांधी के साथ क्या हुआ एक दूसरे वजीरे आजम के साथ क्या हुआ इसीलिए आपसे कहना चाहते हैं कि अगर लोकतंत्र की हिफाजत नहीं करोगे तो जालिम इतना ताकतवर हो जाएगा कि आपको सांस लेने तक नहीं देगा बात सिर्फ एक रामपुर और आजमगढ़ की हार जीत की नहीं है कोई फर्क नहीं आ जाएगा लेकिन आपने तो बिलासपुर की सीट हार दी आपने तो हमारे मुंह पर कालक लगा दी हम किस बात के लिए जेल में थे हम किस बात के लिए माफिया कह लाए थे कोई 1 इंच जमीन हमारे नाम पर है ईडी के अफसरों ने हमसे जेल में 5 दिन पड़ताल की और हमसे सवाल किया कि बताइए विदेश में आपके कितने खाते हैं हम से सवाल किया कि बताइए विदेश में आपके कितने होटल हैं कितनी कोठियां हैं आपकी एक फकीर आदमी से हिंदुस्तान की हुकूमत यह सवाल कर रही है जो गली के अंदर रहता है की बताइए दुनिया में आप की कितनी जायदाद हैं मैंने कहा कि तुम्हारे सवालों पर मुझे ना गुस्सा आ रहा है ना अफसोस हो रहा है बल्कि इस बात पर शर्म आ रही है कि मैं कहां पैदा हो गया यह काम जो मैंने यहां किए दुनिया के बदतरीन मुल्क में भी अगर किए होते तो मुझे वह कालकोठरी में नहीं डालते मेरी इज्जत करते मेरा सम्मान करते और मेरे मरने का इंतजार नहीं करते।

आजम खान ने कहा यह दिया आपने बदला हमारी उस तन्हाई की तकलीफ का यह सिला आपकी वकालत करने का मिला हमें दुनिया के साथ लड़ जाने का यह सिला मिला देश का गृहमंत्री हर सभा में यह कहे माफिया नंबर 1 आजम खा अरे आपने भी तो वही कर दिखाया अमरजीत सिंह को हराकर आप ने साबित कर दिया की हां जो वो कहते हैं वो सही है।

आजम खान ने कहा आज फिर आए हैं आपके पास बहुत आते हैं आपके पास हमेशा मांगने के लिए आते हैं आपके पास भिखारी बनकर कभी अपने लिए कभी अपनों के लिए हम ने जीती पार्लियामेंट हमें साढ़े  तीन लाख वोट से जीतना था लेकिन इंतजामियां ने जो सख्ती और जुल्म कर रखा था उसके नतीजे में हमारी जीत डेढ़ लाख रह गई दो लाख वोट हमारा लूट लिया गया हम आज कहते हैं ईमानदारी से चुनाव लड़ा दो हमारे खिलाफ देश का कोई नेता आ जाए अगर हम हार जाए तो हमारा सर उतार देना यह दावा इसलिए करते हैं कि दामन बेदाग है जमीर पर कोई इल्जाम नहीं है और जब इतने सच्चे और इतने हौसले के साथ कहने आया हूं और फिर भी अगर बात आपके दिल से नहीं उतरती तो लोकतंत्र नहीं बचेगा इंसानियत नहीं बचेगी इंसानों को जीने का हक नहीं बाकी रह जाएगा।

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