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स्पेशल रिपोर्ट : नेशनल बॉक्सिंग खिलाड़ी प्रियंका लोधी पंचर और रुई धुनने को बेबस, जानिए पूरी खबर

 

जीशान अली ,बुलंदशहर 

यूपी के बुलंदशहर में बॉक्सिंग के रिंग में प्रतिद्वदियों को रुई की तरह धुनने वाली नेशनल सब जूनियर बॉक्सर प्रियंका लोधी हकीकत में टायर में पंचर और रुई धुनने को बेबस है। प्रियंका ने हाल ही में गोवा में आयोजित राष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया था। नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन प्रियंका ओलम्पिक खेलने की चाह रखती है और सरकार से आर्थिक मदद व खुद को बहेतर कोचिंग की गुहार भी लगा रही है।

राष्ट्रीय बॉक्सर प्रियंका लोधी जो नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड जीत चुकी है। दरअसल बुलंदशहर के गांव मिर्जापुर में रहने वाली प्रियंका लोधी बुलंदशहर के ही एक कन्या इंटर कॉलेज में कक्षा 11 की छात्रा है। प्रियंका लोधी ने बताया कि 11 अक्टूबर 2021 को बालिका सब जूनियर 50 किलो भार वर्ग में गोवा में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग कंपटीशन में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिभाग किया था और तमिलनाडु की प्रतिद्वंदी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। इससे पूर्व प्रियंका मंडल और स्टेट लेवल पर भी मेडल जीत चुकी है। प्रियंका व उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। प्रियंका अपने पिता बिजेंद्र सिंह के साथ उनके काम में हाथ बटाती है, बाइक में पंचर लगाती है, सर्दियों में रुई धुनने की मशीन में रुई धुनती है। तब जाकर दो वक्त की रोजी रोटी मयस्सर हो पाती है। प्रियंका ने बताया कि पांच बहने एक छोटा भाई है, घर में आय के स्रोत नहीं है, ऐसे हालात में पंचर लगाना और रुई धुनने को मजबूरी है।

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आज जब हमारी टीम बुलंदशहर के गांव मिर्जापुर पहुंची तो वहां बालिका सब जूनियर 50 किलो भार वर्ग की गोल्ड मेडलिस्ट को पंचर लगाते व रुई धुनते देख हतप्रभ रह गई , प्रियंका ने बताया कि यदि सरकार हमारी मदद करें, बेहतर कोचिंग दिलाएं, तो वह ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करने की क्षमता रखती है। प्रियंका बताती है कि अभी तक निजी स्तर पर कोचिंग की और मंडल राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग कंपटीशन में प्रतिभाग किया है। पिता बिजेंद्र सिंह व उनकी पत्नी लज्जा की माने तो प्रियंका उनकी बेटी नहीं बेटा है और बेटों की तरह ही पालन पोषण किया है। बेटी में बॉक्सिंग की प्रतिभा देख उसे बॉक्सिंग की कोचिंग कराई । प्रियंका के परिजन व ग्रामीणों का भी मानना है कि नेशनल चैंपियन सरकारी इमदाद से महरूम है यदि सरकारी मदद मिले तो गांव की बेटी देश का दुनिया में नाम रोशन कर सकती है।
 

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