भीम मनोहर
लखनऊ : यूपी सहित देश के पांच राज्यों में चुनाव होना है , वही देश के सबसे बड़े राज्य यूपी के चुनाव पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों के लोगों की नजर है | यूपी में चुनाव अगले वर्ष संभवता फरवरी और मार्च के मध्य 2022 में होंगे | लेकिन इस बीच सभी राजनीतिक दलों के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है | सोशल मीडिया के अधिकतर प्लेटफार्म पर चुनावी माहौल दिखने लगा है | सभी समर्थक महंगाई और पुराने मामलों को लेकर एक दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे है | सभी एक की मकसद है की चुनाव में उनकी ही पार्टी की सरकार बने | वही राजनीतिक पार्टियों के सोशल मीडिया प्रचार में अधिकतर प्रोफेशनल लगे है जो जरुरत के मुताबिक वीडियो , फ्लैक्स , होर्डिंग को बना रहे है साथ ही ग्राफ़िक का इस्तेमाल कर रहे है | इस प्रचार की खासियत यह है यह अभी शुरू होगा और तब तक सोशल मीडिया पर बना रहेगा जब तक प्रचार करने वाला इसे नहीं हटाता |
सोशल मीडिया पर शुरू हो चुका है सोशल -वार
सोशल मीडिया पर चुनावी दस्तक का एहसास होते ही राजनीतिक दलों के समर्थक निकल आये है और जमकर एक दूसरे पर हमले करना शुरू कर दिया है | वर्तमान में सोशल मीडिया का ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं बचा है जहां समर्थक मौजूद नहीं है | सभी प्लेटफार्म में मौजूद समर्थकों के निशाने पर वह युवा है जो सोशल मीडिया पर अधिकतर सक्रिय रहते है | यहां युवाओं को सोशल मीडिया पर मौजूदा सरकार , प्रत्यासी , पूर्व सरकार के योजनाओं और उसके असर की जानकारी दी जाती है साथ ही सोशल मीडिया यूजर के मन को बदलने की कोशिश की जाती है कि उस अमुख सरकार ने कुछ नहीं किया है , पहले की सरकार इस सरकार से बेहतर थी |
राजनीतिक पार्टियों से युवाओं को मिलता है रोजगार
जानकर बताते है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा सोशल मीडिया पर काम करने के बदले में कुछ ना कुछ जरूर मिलता है साथ ही यह भी आश्वासन दिया जाता है कि उनकी सरकार आने पर उनका ध्यान रखा जायेगा | वही सोशल मीडिया पर काम करने वालों में मीडिया के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले लोग होते है उसके पीछे की वजह यह भी होती है कि वह हालात और सरकार की योजनाओं से परिचित होते है |
राजनीतिक दल चुनाव से पहले बनाते है अपना मीडिया सेल
चुनावी माहौल बनते ही राजनीतिक दल अपने मीडिया सेल का गठन का लेते है या फिर उन कंपनियों को सहारा लेते है जो मीडिया पीआर की सेवाएं देती है | मीडिया कंपनी प्रत्यासी के जनसम्पर्क से लेकर सर्वे , कंटेंट से लेकर हर तरह की योजनाओं को पूरा करने में मदद करते है |
सोशल वार में पुरानी वीडियो और अखबारों के बयान बनते है हथियार
सोशल मीडिया से जुड़े प्रोफेशनल एक चुनाव खत्म होते ही दूसरे चुनाव में जुट जाते है | यही वजह रहती है वह छोटी से बड़ी बात की जानकारी रखते है | राजनेताओं के वीडियो बयान रखते है , अखबारों की कटिंग को रखते है और समय आने पर उसका बेहतर इस्तेमाल करके अपनी पसंद के राजनीतिक दलों के लिए मोहाल बनाते है | हालांकि देश में इस बात पर भी चर्चा होती है कि मोदी सरकार बनने की कई वजहों में एक वजह सोशल मीडिया भी है |
सोशल मीडिया आज भी प्रचार का सबसे सस्ता साधन
देश में प्रचार के आज भी कई माध्यम है लेकिन इन प्रचारों के माध्यम में सोशल मीडिया सबसे सस्ता और व्यापक असर वाला साधन है | इस काम को सामान्य जानकारी वाला व्यक्ति भी कर सकता है | इसके लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं है | सोशल मीडिया पर लाइव के ऑप्शन आने से सोशल मीडिया यह और प्रभावी हो गया है | आज राजनीतिक दल अपनी प्रेसवार्ता और जनसभा करते समय यूज करते है |