मुजस्सिम खान
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नजर आती रही है जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी विद्यालयों का कायाकलप भी कराया गया है इन विद्यालयों में लाइट्स और पंखे भी लगवाए गए है फिर भी कुछ विद्यालय विद्युत सप्लाई ना आने के चलते इन सुविधाओं से कोसों दूर नजर आ रहे हैं कुछ इसी तरह जनपद रामपुर का एक ऐसा विद्यालय भी है जहां पर कई वर्ष पहले पंखे और बल्ब लगवाए गए थे लेकिन अब तक इन पंखों और बल्वो में करंट नहीं पहुंचा है जिसके चलते गर्मियों के मौसम में जहां यहां के विद्यार्थी गर्मी की मार झेलने को मजबूर होते हैं तो वही इस स्कूल में तैनात स्टाफ भी गर्मी की तपिश से करहाता नजर आता है।
रामपुर की तहसील स्वार अंतर्गत ग्राम सनखेड़ा में सरकारी स्कूल है जहां पर पढ़ने वाले बच्चों की संख्या अच्छी खासी है स्कूल का भवन भी अच्छा खासा है वही स्कूल मैं स्थित कक्षाओं में पंखे भी लगे हैं और बल्ब भी लगे हैं लेकिन इन सबके बावजूद यहां पर पढ़ने और पढ़ाने वाले इंसानों ने दो दशक के लंबे समय से ना ही गर्मियों के मौसम में पंखों को चलता देखा है और ना ही इन बल्ब से प्रकाशित होने वाली रोशनी को ही देखा है गर्मियों के मौसम में बच्चे और यहां पर तैनात स्टाफ धूप की तपिश के चलते अपना पसीना बहाने को मजबूर होते हैं तो वही गर्मियों के साथ-साथ ठंड के मौसम में भी अंधेरे को चीर कर बल्ब से निकलकर उनकी किताबों और ब्लैक बोर्ड पर पढ़ने वाली रोशनी की एक एक किरण की झलक पाने को तरस रहे हैं ।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां पर बल्ब और पंखे तो लगे हैं लेकिन उनमें विद्युत सप्लाई नहीं हो सकी है जबकि इस विद्यालय का निर्माण दो दशक पहले 1997 में कराया गया था ।छात्रा हिमांशी के मुताबिक इस स्कूल में कभी भी लाइट नहीं आई है और हमें पढ़ने में दिक्कत होती है पंखे तो लगे हुए हैं लेकिन लाइट कभी नहीं आई है हमें चक्कर भी आ जाते हैं तबीयत वगैरा भी खराब हो जाती है यह उच्च प्राथमिक विद्यालय सेटा खेड़ा गांव हैं हम ये चाहते हैं कि हमारे स्कूल में लाइट आए हम बेहद परेशान हैं।
छात्रा भारती के मुताबिक मैं आठवीं क्लास में पढ़ती हूं, नहीं पंखे नहीं चलते मैं जब से स्कूल में आई हूं जब से लाइट नहीं आई है हमारे सामने यहां पर पंखे भी है और बिजली की लाइन भी है लेकिन पता नहीं लाइट क्यों नहीं आती हम कहते हैं सर से लेकिन वह कहते हैं यहां पर कभी लाइट नहीं आई है जैसे हम रह रहे हैं वैसे ही रहो बेटा। यह दिक्कत होती है जब हम पढ़ते हैं तो गर्मी लगती है पढ़ने में दिक्कत होती है हमें गर्मियों में। हम यह चाहते हैं कि यहां पर लाइट आवे पंखे चले।
छात्रा सुहानी के मुताबिक मैं सातवे क्लास में पढ़ती हूं, सर यहां लाइट नहीं आती है पंखे भी है बिजली के तार भी लगे हुए हैं पर खंबे पर लाइट नहीं है खामबे पर तार भी लगे हुए हैं पर लाइट नहीं आती है सर जब से मैं यहां पढ़ती हु तब से नहीं आती है और इससे पहले भी नहीं आती हैं, 2 साल हो गए कभी लाइट नहीं देखी और सर जब हम पढ़ते हैं तो हमें पढ़ने में दिक्कत होती है हमें पसीना आता है और बच्चों की तबीयत भी खराब हो जाती है गर्मियों में हमें पसीना आता है और जब हम सर से कहते हैं तो सर कहते हैं जैसे बेटा हम रह रहे हैं वैसे तुम भी रहो यह गर्मियां भी बिना पंखे की कटी हम यह चाहते हैं कि हमारे स्कूल में लाइट आए और हम आराम से खूब मेहनत करें और पंखे के आराम में पड़े।
टीचर विवेक कुमार के मुताबिक यह उच्च प्राथमिक विद्यालय सेटा खेड़ा है यहां लाइट की बहुत बड़ी समस्या है जब से मैं आया हूं जब से तो मैंने तो लाइट देखी नहीं है मैं 2009 से हूं यहां पर जब से तो लाइट नहीं है और मीटर लगा हुआ है परंतु तार की व्यवस्था नहीं है कहीं भी दूर दूर तक बच्चे ऐसी पढ़ते रहते हैं पसीने में तर होकर कुछ बच्चों की तबीयत खराब हुई है स्टाफ की तबीयत खराब हो जाती है। मुझे लगता है 1997 में पहला एडमिशन हुआ है यहां पर मैंने रजिस्टर में देखा है पहले आती हो पता नहीं लेकिन मेरे सामने कभी नहीं आई है फिलहाल अभी तक, कभी कभी अभिभावक लोग आते हैं बच्चों के बताते हैं कि अभी तक तो हमने लाइट देखी नहीं है और काफी परेशानी है और बच्चे भी घर जाकर कहते होंगे जरूर की तबीयत खराब हो जाती है गर्मी के मारे और कुछ लोग बताते हैं कि 1997 के आसपास का स्कूल है यह। यहां पर दूर-दूर तक कोई पोल नहीं है ट्रांसफार्मर वगैरा, 11 हज़ार की लाइन है लेकिन उसके आस पास जो ट्रांसफार्मर होता हैं वो नहीं है शायद उसकी वजह से नहीं आ रही हो इस वजह से कनेक्शन नहीं दे रहे हो। मांग तो सेठ साहब करेंगे हम तो छोटे आदमी हैं यह चाहते हैं कि लाइट आनी चाहिए गर्मियों में हालत खराब हो जाती है सर्दियों में तो देख लेते हैं लेकिन सर्दियों में रोशनी भी कम पड़ जाती है क्लास रूम में बल्ब भी नहीं जलते जब लाइट ही नहीं आ रही है तो बल्ब क्या जलेंगे।
टीचर मोहम्मद असलम खान के मुताबिक मैं सेटा खेड़ा में अध्यापक हूं और मैं 7TH क्लास को ज्यादा पढ़ाता हूं या क्लास टीचर कह सकते हैं आप 7TH क्लास का और जब से मैं यहां पर हूं लगभग 2016 से मेरी पोस्टिंग हुई है तो यहां पर लाइट की व्यवस्था ऐसी है लाइट कभी यहां पर आई नहीं है जबकि गवर्नमेंट की तरफ से फिटिंग भी करवादी गई हैं फैन भी लगे हुए हैं सब कुछ है लेकिन बस पोल्स नहीं है यहां पर कोई आसपास में खंबा नहीं है जिससे कि कनेक्शन हो और कई बार हमारे मास्टर ने एप्लीकेशन भी दी है बिजली विभाग को अपने विभाग को भी दिया है कनेक्शन के लिए लेकिन कोई कनेक्शन अभी हुआ नहीं है। हां लेकिन इलेक्शन वगैरह में प्रधान अपना इंतजाम कर देते हैं जनेटर वगैरह का तो उस टाइम तो कनेक्शन चालू हो जाता है वैसे पोल से अभी कोई कनेक्शन नहीं है कोई मुख्य कारण तो नहीं है वैसे लेकिन मेन कारण ये कह सकते हैं कि कनेक्शन के लिए एक ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा मेन कारण यही है क्योंकि 11 हज़ार की लाइन है यहां पर क्योंकि इसे कनेक्शन तो हो नहीं सकता तो इसलिए यही मेन कारण है उसके लिए एक ट्रांसफार्मर तो लगना ही पड़ेगा। हम यही चाहते हैं कि लाइट का कनेक्शन हो ताकि बच्चों को भी आराम मिले गर्मी में ये भी बहुत परेशान रहते हैं हम लोगों का क्या है कि हम लोग तो राउंड लेते रहते हैं लेकिन बच्चे तो एक जगह बैठे रहते हैं उन्हें ज्यादा महसूस होता होगा गर्मी का।
प्रिंसिपल इंद्रेश सिंह के मुताबिक ये उच्च प्राथमिक विद्यालय सेटा खेड़ा है तहसील स्वार टांडा में यहां पर कम से कम तीन खंबे लगेंगे दो तो खंभे वैसे ही लगेंगे ट्रांसफार्मर में डबल खंबा लगता है तो ट्रांसफार्मर भी रखा जाएगा इसलिए लाइट का कनेक्शन नहीं हो पा रहा है और मीटर वगैरा तो बहुत पहले के लगे हुए हैं 2 साल 2 महीने से ज्यादा हो गए मुझे भी यहां पर आए हुए मेरे सामने तो कभी लाइट का कुछ नहीं हुआ है इस स्कूल की स्थापना 1997 में हुई है तब से लाइट नहीं है बच्चों को दिक्कत यह है कि गर्मी से चक्कर आ जाते हैं जब गर्मी से ज्यादा बेहाल हो जाते हैं तो कहते हैं कि छुट्टी कर दो हमारी हम कर नहीं पाते हैं क्योंकि हमारा कोई अधिकार नहीं है ऐसा कि हम छुट्टी कर सकें और लाइफ के बारे में ने कई बार प्रधान से भी कहा है ओरो से भी कहा हैं कहते हैं करवाएंगे करवाएंगे लेकिन वह खंबे की बात आती है ट्रांसफार्मर की तो सब ढीले पड़ जाते हैं बिजली विभाग से फोन पर कई बार बात हुई है वैसे भी जा कर पूछ लेते हैं वह यह कहते हैं कि तुम्हारे यहां का सिस्टम खंभों का है और ट्रांसफार्मर का इसलिए नहीं हो पाता है हम तो यही चाहते हैं कि हो जाए तो बच्चों की सुविधा हो जाएगी हम इतने बड़े अधिकारी तो हैं नहीं के जबरदस्ती कहे कि करो तुम करो हम तो रिक्वेस्ट ही कर सकते हैं यहां पर सुविधा हो जाएगी तो अच्छी बात है बच्चे परेशान है।
कल्पना सिंह बीएसए रामपुर के मुताबिक देखिए आप के माध्यम से अभी यह सूचना मिली है और मैं इसकी जांच करवाती हूं जो भी वस्तु स्टिट होगा जैसे भी कार्रवाई होगी जल्द प्रस्तावित करूंगी। कारण अभी यह पता लगा है कि वह गांव से काफी दूर है इस कारण वहां बिजली का कनेक्शन नहीं हो पा रहा है लेकिन मैं अपने उच्च अधिकारियों से बात करके और इसका जल्द समाधान कर आऊंगी।