बरेली। चंद्रमा से अमृत बरसाने वाली रात शरद पूर्णिमा इस बार 19 अक्टूबर मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार को पूर्णिमा होने से यह पर्व और ज्यादा मंगलकारी हो गया है। इस बार पूर्णिमा का मान मंगलवार की शाम 7:02 से ही शुरू हो जाएगा, जो अगले दिन यानी बुधवार को रात्रि 8:21 तक रहेगा। मंगलवार को संपूर्ण रात्रि पूर्णिमा होने से यह पर्व मंगलवार को ही मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि मां लक्ष्मी भ्रमण के लिए पृथ्वी लोक पर आती हैं। इसलिए इस पर्व को कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से मां लक्ष्मी सुख- समृद्धि, यश- वैभव, धन- संपदा का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस दिन खीर को खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है। इस पर्व को महारास पूर्णिमा भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया कोई भी कार्य अनंत मंगल दायक और कल्याणकारी होता है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त पूर्ण प्रभाव में होता है। कहा जाता है जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा नीच राशि का हो या जब जन्म कुंडली में चंद्रग्रहण दोष हो, चंद्रमा की महादशा -अंतर्दशा चल रही हो, तो जातक को इस दिन व्रत -पूजन करना चाहिए। इससे समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है।
-इस पर्व को रास पूर्णिमा भी कहते हैं
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। क्योंकि भगवान कृष्ण ने इसी दिन गोपियों के साथ रासलीला की थी। भगवान कृष्ण ने एक-एक गोपी के लिए कृष्ण बन गये और सभी के साथ पूरी रात नृत्य किया, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को ब्रह्मा की रात जितना लंबा कर दिया था। पुराणों में बताया गया है कि ब्रह्मा की रात मनुष्यों की करोड़ों रात के बराबर होती है। इसलिए इस रात्रि का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है।
–शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है। चंद्रमा के प्रकाश में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे पृथ्वी पर पड़ते हैं। ऐसे में खुले आसमान के नीचे खीर रखने से उसमें सभी रासायनिक तत्व मिल जाते हैं। जो कि हमारी सेहत के लिए बेहद ही अनुकूल होते हैं। मान्यता है खाने की प्रत्येक चीज को इस दिन खुले आसमान के नीचे रखी जा सकती है। लेकिन सफेद रंग चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में खीर को शुद्ध सात्विकता से जोड़कर देखते हुए खीर को ही चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
– पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सबसे पहले अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
– उसके बाद भगवान इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करने के लिए घी का दीपक जलाएं।
– इस दिन ब्राह्माणों को विशेषकर खीर का भोजन करवाकर दान दक्षिणा भी देनी चाहिए।
– शरद पूर्णिमा का व्रत विशेषकर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन घर में जागरण करने से भी धन-संपत्ति में लाभ होता है।
– शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
– शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर मंदिर में दान करने से भी लाभ मिलता है। माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
– पूजा करने के बाद रात 12 बजे के बाद अपने परिवार के लोगों को खीर का प्रसाद बांटें।