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लखीमपुर की घटना भी तोड़ नहीं सकी , रामपुर के किसान गुरमीत सिंह कोटिया के हौसलों को , जानिए पूरी कहानी

gurmit family

 

मुजस्सिम खान
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी में कथित रूप से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र और उनके समर्थकों द्वारा थार गाड़ी से आंदोलित किसानों को कुचलने के आरोप लगे हैं । जिससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है इस मामले में पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है । वही इस घटना में रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया भी घायल हुए हैं जिनका उपचार अस्पताल में जारी है । घायल किसान पिछले कई महीनों से अपने घर वालों को छोड़कर केंद्र सरकार द्वारा पारित बिल के विरोध में जारी किसान आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं ।
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 रामपुर में  तहसील बिलासपुर क्षेत्र किसानों का गढ़ माना जाता है यह इलाका तराई बेल्ट के साथ ही मिनी पंजाब भी कहलाता है । केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लेकर तीन बिल संसद में पास किए गए हैं । जो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि के किसानों को कतई मंजूर नहीं हैं और जिनको रद्द करने की मांग को लेकर तकरीबन 10 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना जारी है । अब जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं किसान भाजपा सरकारों के विरोध में खुलकर सामने आते चले जा रहे हैं । इसी क्रम में जनपद रामपुर के किसान भी बड़ी मजबूती के साथ सरकार विरोधी आंदोलनों और धरनो का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं । 

 रामपुर की बिलासपुर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में से एक गुरजीत सिंह कोटिया हैं जो पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलनों का हिस्सा बने हुए हैं उन्होंने पूरी तरह से अपना घर बार छोड़ रखा है यही नहीं वह लखीमपुर खीरी में आयोजित उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध करने अपने साथियों के साथ पहुंचे थे जहां पर वह दिल को दहलाने वाली घटना का शिकार भी हो गए हालांकि गनीमत रही की उनके साथ ज्यादा बड़ी अनहोनी नहीं हुई और शरीर पर चोटे ही आयी । घायल अवस्था में गुरजीत सिंह कोटिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां पर उनका उपचार जारी है वही उनकी पत्नी, पुत्री व पिता आज भी उनकी सलामती की दुआ ईश्वर से करते नहीं थक रहे हैं । परिवार के हालात खस्ता हैं खेती-बाड़ी भी पत्नी व पुत्री के हवाले है, बूढ़े पिता भी अधिकतर बीमार रहते हैं लेकिन बावजूद इसके वह किसान आंदोलन का हिस्सा बना रहना चाहते हैं । 

 

हरमनप्रीत कौर के मुताबिक मेरे पति का नाम गुरजीत सिंह कोटिया है वह किसान आंदोलन पर गये थे लखीमपुर में वहां पर पत्थरबाजी हुई है गाड़ी चढ़ाई है उनके ऊपर उनकी टांग भी टूट गई है उनकी टांग का ऑपरेशन भी हुआ है तो हम तो सरकार से बहुत ज्यादा परेशान हैं जो कानून है वह वापस ले ले, काले कानून जो उन्होंने दिए हुए हैं परेशानी यही है कि घर को भी देखना है और अपने बच्चों को भी देखना है बुजुर्ग ससुर है हमारे उनको भी मुझे देखना पड़ रहा है वह तो रहती ही बाहर धरने पर हैं यही परेशानी हम झेल रहे हैं|
सरकार की वजह से सरकार अच्छी होती तो हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता हम सरकार से परेशान हैं हम तो यही कह रहे हैं जो सरकार ने काले कानून दिए हैं वह वापस ले ले किसान बिचारे बैठे हुए हैं बहुत परेशान है बिचारे मेरा एक बेटा है प्रबजोथ सिंह और बेटी है गगनप्रीत कौर जैसे घर चलाया जाता है चला रहे है परेशानी यही आ रही है कि वह घर पर नहीं होते हैं तो पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है ससुर को भी देखना पड़ता है वह बुजुर्ग हैं किसी टाइम उनको पकड़ कर बाहर भी लेकर जाना पड़ता है|
पति को अगर में रोकती हो तो वह कहते हैं कि हमीं घर बैठ गए तो फिर हम खाएंगे क्या बाहर तो जाना ही पड़ेगा किसानों के साथ चलना ही पड़ेगा आदमी के पीछे आदमी जाता है हां वह फिर से आंदोलन पर जाएंगे जब ठीक हो जाएंगे हम उन्हें रोकेंगे क्यों सब उनके साथ हैं यह सब मजबूरी है करना पड़ेगा जब बच्चे पालना है किसी तरह बच्चों को पालना है और घर भी चलाना है पति को तो बाहर ही देखना है हम यही कह रहे हैं कि किसान जो अपनी मांगे मांग रहे हैं उसको मान लेना चाहिए इतने परेशान हैं पति का तो अभी टांग को ऑपरेशन हुआ है अभी तो थोड़ा ठीक है घर पर तो पूरा हड़कंप मच गया हमने तो यह सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो जाएगा हमें पता होता तो वह पहले भी जाते थे यह तो है नहीं कि मैं पहली बार गए थे हमने बाद में सोचा कि हमने क्यों जाने दिया बाद में यह कहने लगे कि मैं पहले भी तो जाता हूं पहली बार थोड़ी जा रहा हूं जब सरकार नहीं मानेगी तो वह खुद ही जाएंगे धरने पर।

गगनप्रीत कौर के मुताबिक  मैं क्लास 6 -B में पढ़ती हूं जाना तो चाहिए क्योंकि सरकार ले नही रही कानून वापस तो वह जाएंगे अच्छा नहीं लगा ,जब वह घर में होते थे तो अच्छा लगता था अब नहीं अच्छा लगता मैं यही कहना चाहूंगी कि कानून वापस ले, आंदोलन में फिर जाने देंगे क्योंकि कानून वापस नहीं लेंगे तो फिर जाने देंगे ही , डर लगता है थोड़ा-थोड़ा , सरकार अपना कानून वापस ले।

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