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रामायण कान्क्लेव में राम चरित मानस की महत्व पर गोष्ठी , विधायक सहित शहर के कई गणमान्य रहे मौजूद

 रामायण कान्क्लेव

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बरेली। रामायण कान्क्लेव का शुभारंभ  के मौके पर  फरीदपुर के विधायक  श्याम बिहारी लाल ने कहा कि राम चरित मानस की चौपाइयां पहले अंताक्षरी तक में  प्रयोग की जाती थीं। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन से राम चरित मानस ऐसा ग्रंथ है जो हमारे जीवन का हिस्सा होता था, बरेली में विशेष रूप से राधे श्याम रामायण प्रचलित थी, उसके पाठ घर घर होते थे। आज के जीवन में अपने ग्रंथ पढ़ने की रुचि संभवतः पहले से कम हो गई है, उसे पुर्नजीवित करने की आवश्यकता है।

 
स्थानीय आईएमए हॉल में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रामायण कान्क्लेव का आज तुलसी मठ के महंत कमल नयन दास, फरीदपुर के विघायक माननीय प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल तथा मीरगंज के विधायक माननीय डॉक्टर डीसी वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी श्री बीपी सिंह ने इस अवसर पर आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया तथा राम पट्टिका पहनाई। संस्कृति विभाग के प्रतिनिधि श्री नवीन श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया।

 
सर्व प्रथम ’लोक गीतों में राम’ विषय पर गोष्ठी/परिचर्चा हुई जिसमें पंडित कमल नारायण ने राम चरित मानस की एक एक पंक्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मंत्र हैं। इनके पाठ से जीवन के अर्थ बदल जाते हैं, जीवन की दिशा बदल जाती है। उन्होंने कहा कि राम चरित मानस की एक एक पंक्ति के सार का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, यह ऐसा ग्रंथ है जो आज भी प्रासंगिक है, इसकी प्रासंगिकता कभी न कम हुई है न हो सकती है। उन्हांने कहा कि राम कथा हमारी रग रग में समाई हुई है। यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, हमें इसे अपने जीवन में पूरी तरह से उतारने की आवश्यकता है। गोष्ठी में बरेली की प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ. कविता आरोड़ा तथा डॉ. पूर्णिमा अनिल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 
गोष्ठी के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सबसे पहले पीलीभीत के श्री गौरव जोशी एवं साथियों ने मर्यादा पुररुषोत्तम श्री राम की स्तुति में भजन प्रस्तुत किए। इसके बाद लखनऊ से आए श्री अमृत सिन्हा एवं उनके साथियों ने भारतनाटयम प्रस्तुत किया जिसकी थीम भी श्री राम के जीवन पर आधारित थी। इसके उपरांत श्री राम के जीवन पर ही आधारित कथक नृत्य नाटिका लखनऊ की सुश्री सुरभि शुक्ला एवं साथियों ने प्रस्तुत की| 

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