ज्योतिषाचार्य -पंडित ललित तिवारी
बरेली | घर का वातावरण ही हमारे मन और विचारों को प्रभावित करता है। जैसा हमारे घर का वातावरण होगा वैसे ही हमारे विचार होंगे। कई घरों में लड़ाई-झगड़े, क्लेश आदि होता है, कई बार इन समस्याओं की वजह वास्तुदोष भी होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर वस्तु हमें पूरी तरह प्रभावित करती है। घर की दीवारों का रंग भी हमारे विचारों और कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। हमारे घर का जैसा रंग होता है, उसी रंग के स्वभाव जैसा हमारा स्वभाव भी हो जाता है। इसी वजह से घर की दीवारों पर वास्तु के अनुसार बताए गए रंग ही रखना चाहिए। रंगों का प्रभाव जीवन यात्रा में आने वाले सभी रिश्तों पर पड़ता है चाहे वह पारिवारिक या कार्मिक रिश्ता हो प्रभाव तो अवश्य पड़ेगा इसलिए रंगो का चयन अवश्य ही करना चाहिए। जैसे हरा रंग विकास का सूचक है
बैठक कक्ष (Drawing Room) का रंग
बैठक कक्ष , मेहमान का कमरा या स्वागत कक्ष हमारे घर का बहुत ही महत्त्वपूर्ण कमरा होता है यह वह स्थान है जहां घर के सभी सदस्य एक साथ बैठते है तथा अतिथि भी जब घर में आते है तो सबसे पहले इसी कक्ष में उनका स्वागत होता है। अतः ड्राइंग रूम में ऐसे रंगों का प्रयोग करे जो आपके इंटीरियर में चार चांद लगा दे।
अपने बैठक कक्ष में सफेद, गुलाबी, पीला, क्रीम या हल्का भूरा रंग तथा हल्का नीला का प्रयोग करना चाहिए।
शयनकक्ष का रंग
शयन कक्ष की दीवारों पर गहरे और आँखों को चुभने वाले रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस कक्ष में हल्के तथा वैसे रंग का प्रयोग करे जो आपके मन को शांति व सौम्यता प्रदान करने वाला हो।
शयन कक्ष की दीवारों पर आसमानी, हल्का गुलाबी, हल्का हरा तथा क्रीम रंग का प्रयोग करवाना चाहिए।
भोजन कक्ष में किस रंग का प्रयोग करे
भोजन के कमरा का बहुत ही महत्त्व होता है क्योकि यह वह स्थान होता है जहां पर घर के प्रत्येक सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते है। भोजन के दौरान कई बार बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय भी ले लिया जाता है अतः इस स्थान पर वैसे रंग का प्रयोग किया जाए जो घर के सभी सदस्यों को जोड़ने तथा कोई भी निर्णय लेने में सहायक हो। भोजन के कमरा में हल्का हरा, गुलाबी, आसमानी या पीला रंगशुभ फल देता है।
रसोईघर
वास्तु शास्त्र में दक्षिण पूर्व दिशा जिसे आग्नेय कोण भी कहा जाता है में रसोई घर बनाना चाहिए। इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र है तथा देवता अग्नि ( आग ) है। अपने रसोईघर में सकारत्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए हमें शुक्र ग्रह से सम्बन्धित रंग का ही प्रयोग करना चाहिए।
रसोईघर के लिए सबसे शुभ रंग सफेद अथवा क्रीम होता है। यदि रसोईघर में वास्तु दोष है तो रसोईघर के आग्नेय कोण में लाल रंग का भी प्रयोग कर सकते है।
अध्ययन कक्ष का रंग
अपने घर में पूर्व तथा दक्षिण पश्चिम दिशा अध्ययन कक्ष के लिए सबसे अच्छा होता है। अध्ययन कक्ष के लिए हलके रंग का प्रयोग करना बेहतर होता है।
अध्ययन कक्ष के लिए क्रीम कलर, हल्का जामुनी, हल्का हरा या गुलाबी, आसमानी या पीला रंग का प्रयोग करना अच्छा होता है।
स्नानघर एवं शौचालय
स्नानघर एवं शौचालय में सफेद, गुलाबी या हल्का पीला या हल्का आसमानी रंग का प्रयोग करने से मन को सकुन मिलता है।
छतें
हमारी छतें प्रकाश को परावर्तित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं इस कारण से इस स्थान पर ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए जो परावर्तन में सहायक हो। छत के लिए सबसे उपयुक्त रंग है सफेद अथवा क्रीम।
पूजा/मंदिर कक्ष
हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि पूजा घर के ईशान कोण में बनाया जाय। यह वह स्थान होता है जहां बैठकर हम सब ध्यान और साधना के माध्यम से अपने मन की शांति तथा इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। इसलिए पूजा घर में ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए जो हमें एकाग्रता प्रदान करे।पूजा घर में गहरे अथवा विभिन्न प्रकार के अलग-अलग रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योकि वह मन को भ्रमित कर सकता है।
शांति और एकाग्रता का प्रतीक सफेद, हल्के नीले या पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। आध्यात्मिक रंग गेरुआ व नारंगी का प्रयोग करना शुभ होगा।
ब्रह्म स्थान
घर के मध्य भाग में ब्रह्म का निवास स्थान होता है इस स्थान में गहरे या भड़कीले भूरा, लाल, नीला, पीला हरा आदि रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस स्थान पर अन्धेरा नहीं होना चाहिए अतः प्रकाश में वृद्धि करने के लिए सफेद या हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए।