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जानिए मार्गशीर्ष मास के प्रमुख व्रत और त्योहार

ज्योतिषाचार्य -पंडित मुकेश मिश्रा

बरेली।श्रद्धा और भक्ति का पावन मार्गशीर्ष मास इस बार गत दिवस 20 नवंबर रविवार को प्रारंभ हो चुका है। यह महीना 19 दिसंबर तक रहेगा। इस महीने में पुण्य के बल पर सभी सुखों की प्राप्ति सुगमता से होती है। इस महीने में नदी में स्नान और दान -पुण्य का विशेष महत्व है। भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की महत्वा गोपियों को बताई थी। उन्होंने कहा था कि, मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। तभी से इस माह में नदी स्नान का खास महत्व माना गया है। दरअसल यह हिंदी कैलेंडर के मुताबिक नौवां महीना माना जाता है। इस महीने को आम भाषा में अगहन भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग की स्थापना हुई थी।

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महर्षि कश्यप ने भी इसी महीने में कश्मीर राज्य की स्थापना की थी। जो कि आज भारत का अभिन्न अंग है। इसी महीने में भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए गीता जयंती इसी महीने में मनाई जाती है। इस मास में गीता का पाठ भी मोक्ष कारक माना गया है। यह महीना अपने आप में ही बहुत ही पवित्र माना जाता है। क्योंकि श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है की महीनों में मार्गशीर्ष मैं ही हूं। इसलिए इस महीने भगवान श्री कृष्ण के नाम का महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान कृष्ण की आराधना बहुत ही उत्तम मानी जाती है। कहते हैं जो इस महीने में भगवान कृष्ण की आराधना पूजा जप ,तप ,अनुष्ठान करता है। वह भगवान के पावन धाम बैकुंठ का अधिकारी हो जाता है। इस महीने में किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना बहुत ही पुण्य दायक माना जाता है। मान्यताओं के  मुताबिक अगहन के महीने में शरीर पर तेल मालिश करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। कहते हैं ऐसा करने से निरोगी काया बनी रहती है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा अनेक रूपों में और अनेक नामों में की जाती है। इन्हीं रूपों में से यह मार्गशीर्ष महीना भी भगवान श्री कृष्ण का ही एक रूप है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष के अनुसार 27 नक्षत्र होते हैं जिसमें से एक है मृगशिरा नक्षत्र। इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है। कहते हैं यदि इस महीने में अगर माता- पिता -गुरु की सेवा की जाए तो भगवान लक्ष्मी नारायण की कृपा बड़ी सरलता से प्राप्त होती है। और भगवान अपनी कृपा की बारिश करते हैं। विशेष करके इस महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान का खासा महत्व है। मार्गशीर्ष महीने के दौरान यमुना नदी में स्नान करने से भगवान सहज ही प्राप्त होते हैं। अतः जो लोग जीवन में भगवान का आशीर्वाद बनाए रखना चाहते हैं, और हर संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें मार्गशीर्ष के दौरान कम से कम एक बार तो यमुना नदी में स्नान  करने अवश्य जाना चाहिए। लेकिन, जिन लोगों के लिए पैसा संभव नहीं है। वह लोग घर पर ही अपने स्नान के पानी में थोड़ा सा पवित्र जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

ऐसे करें स्नान  
मार्गशीर्ष के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान  से पवित्र  होकर भगवान का ध्यान करना चाहिए और उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। स्नान से पहले तुलसी की जड़ की मिट्टी से भी स्नान करें, यानी अपने शरीर पर उसका लेप लगाएं और लेप लगाने के कुछ देर बाद पानी से स्नान करें। साथ ही स्नान के समय ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ या गायत्री मंत्र का जप करें।
 
इन सामग्रियों का करे दान

इस मौसम में शीतलहर आरंभ हो जाती है अत: गर्म कपड़े,कंबल,मौसमी फल,शैया,भोजन और अन्नदान का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह में पूजा संबंधी सामग्री जैसे आसन, तुलसी माला,चंदन,पूजा की प्रतिमा,मोर पंख,जलकलश,आचमनी,पीतांबर,दीपक आदि का दान शुभ माना गया है।

मार्गशीर्ष मास के प्रमुख व्रत और त्योहार
21 नवंबर दिन शनिवार- रोहिणी व्रत
23 नवंबर दिन मंगलवार- गणाधिप संकष्टी गणेश चतुर्थी
27 नवंबर दिन शनिवार- मासिक कालाष्टमी, कालभैरव जयंती
30 नवंबर दिन मंगलवार- उत्पन्ना एकादशी,
02 दिसंबर दिन गुरुवार- प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि,
04 दिसंबर दिन शनिवार- अमावस्या तिथि, सूर्य ग्रहण
05 दिसंबर दिन रविवार- मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा, हेमंत ऋतु, चंद्र दर्शन
07 दिसंबर दिन मंगलवार- मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी, विनायक चतुर्थी
08 दिसंबर दिन बुधवार- विवाह पंचमी
09 दिसंबर दिन गुरुवार- स्कंद षष्टी
11 दिसंबर दिन शनिवार- मासिक दुर्गाष्टमी व्रत
14 दिसंबर दिन मंगलवार- मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती
15 दिसंबर दिन बुधवार- मतस्य द्वादशी
16 दिसंबर दिन गुरुवार- अनंग त्रयोदशी व्रत, प्रदोष व्रत , धनु संक्रांति
18 दिसंबर दिन शनिवार- सत्य व्रत, रोहिणी व्रत,  पूर्णिमा व्रत, दत्तात्रेय जयंती
19 दिसंबर दिन रविवार- अन्नपूर्णा जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, त्रिपुर भैरवी जयंती

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