आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ फाजिले बरेलवी अलैहिर्रहमा ने अपने हजारों फतवों, लगभग 1200 किताबों और अपने बेमिसाल इल्म और ज्ञान द्वारा सॉफ्ट इस्लामिक और अमन व शांति वाली सूफी विचारधारा का 19वीं और 20वीं शताब्दी में विश्व स्तर पर प्रचार व प्रसार किया। उनका जन्म 14 जून 1856 ई0 और देहान्त 28 अक्तूबर 1921 ई० को हुआ, पूरे इस्लामी जगत ने उन्हें अपना इमाम और धर्मगुरू माना। आज दुनिया भर में उनके करोड़ों अनुयायी हैं।
विश्व की लगभग दो दर्जन से ज्यादा यूनिवर्सिटीज में उन पर कई दर्जन पी०एच०डी० हो चुकी हैं। उनके ज्ञान और उनकी सेवा को दृष्टिगत रखते हुये उनकी जन्म स्थली बरेली और उनकी दरगाह को सूफी सुन्नी मुसलमान अपनी आस्था का केन्द्र मानते हुये दरगाह आला हजरत को सुन्नी बरेलवी मुसलमानों का सबसे बड़ा केन्द्र और “मरकज़े अहले सुन्नत मानते हैं। आला हजरत ने विश्व स्तर पर अपने मुल्क हिन्दुस्तान का नाम रौशन किया। हुकूमते हिन्द ने भी उनकी सेवाओं को स्वीकार करते हुये उनके नाम से एक डाक टिकट जारी किया और उनके नाम से ट्रेन चलाई प्रदेश हुकूमत ने भी एम०जे०पी० रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में उनके नाम से शोध के लिये एक पीठ की स्थापना की तथा उनके नाम से गाजियाबाद में एक हज हाउस का निर्माण किया।
आला हजरत की पहली पीढ़ी
आला हजरत के दो बेटे थे
1- अल्लामा हामिद रजा खाँ (बड़े बेटे एव दरगाहे आला हजरत के पहले सज्जादानशीन एवं मुतावल्ली)
2- अल्लामा मुस्तफा रजा खाँ (इनकी पुत्रियों थीं पुत्र कोई न थे)
आला हजरत की दूसरी पीढ़ी
अल्लामा हामिद रजा खाँ साहब से ही आला हज़रत की मौजूदा नस्ल चल रही है। इनके दो बेटे हुये – अल्लामा इब्राहीम रजा खाँ उर्फ जीलानी मियाँ (दरगाहे आला हजरत के दूसरे सज्जादानशीन एवं मुतावल्ली)
2- अल्लामा हम्माद रजा खाँ (विभाजन के वक्त यह पाकिस्तान चले गये इनकी नस्ल पाकिस्तान में है)
आला हज़रत की तीसरी पीढ़ी
अल्लामा इब्राहीम रज़ा खाँ साहब के पाँच बेटे हुये
1- अल्लामा रेहान रज़ा खाँ (दरगाह आला हज़रत के तीसरे सज्जादानशीन एवं मुतावल्ली)
2- अल्लामा तनवीर रजा खाँ (यह गायब हो गये अब तक इनका कोई पता नहीं) 3- ताजुश्शरीया अल्लामा अख्तर रजा खाँ अजहरी मियाँ।
4- अल्लामा कमर रजा खाँ, ख्वाजा कुतुब बरेली। 5- मौलाना मन्नान रजा खाँ मन्नानी मियाँ
आला हजरत की चौथी पीढ़ी अल्लामा रेहान रज़ा खाँ के पाँच बेटे हैं :
2- मौलाना उस्मान रजा खाँ उर्फ अंजुम मियाँ
3- मौलाना तौकीर रज़ा खाँ (राष्ट्रीय अध्यक्ष इत्तेहादे मिल्लत कासिल)
4- अल्लामा तौसीफ रजा खाँ।।
5- मौलाना तस्लीम रज़ा खाँ
ताजुश्शरीया अल्लामा अख़्तर रज़ा खाँ अज़हरी मियाँ के सिर्फ एक बेटे हैं :
अल्लामा कमर रजा खाँ, ख्वाजा कुतुब बरेली के तीन बेटे हैं।
1- मौलाना उमर रजा खाँ
2- मौलाना आमिर राजा खाँ
3- मौलाना आसिम रजा खाँ (यह सब मुहल्ला ख्वाजा कुतुब बरेली में रहते हैं)
2- मौलाना हन्नान रजा खाँ हन्नानी मियाँ
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आला हज़रत की पाँचवी पीढ़ी
अल्लामा सुव्हान रज़ा खाँ सुव्हानी मियाँ साहब के दो बेटे हैं।
2- मुहम्मद मुस्तहसन रजा खाँ नूरी मियाँ
1- मौलाना शीरान रजा खाँ
मौलाना उस्मान रजा खाँ उर्फ अंजुम मियाँ के तीन बेटे हैं।
1 – मौलाना शीरान रजा खाँ
2 – मौलाना अरसलान रजा खाँ
– मौलाना फैज रजा खाँ।
स्पष्टीकरण :
(1) 28 अक्तूबर 1921 को आला हज़रत के देहांत के बाद दरगाह आला हजरत मोहल्ला सौदागरान बरेली की स्थापना हुई । आला हज़रत की वसीयत तथा उनके दिशानिर्देशों के आधार पर दरगाह आला हज़रत के सज्जादा नशीन एव मुतावल्ली आला हजरत पीढ़ी के जो भी बड़े बेटे होते हैं वही नियुक्त होते हैं। इस परम्परानुसार 1मौलाना हामिद रज़ा खाँ 2- मौलाना इब्राहीम रजा खाँ 3- मौलाना रेहान रजा खाँ 4- मौलाना सुव्हान रजा खाँ, मौलाना अहसन रजा खाँ। अब तक सज्जादा बनते चले आ रहे हैं।
2) सूफी, खानकाही, दरगाही एंव इस्लामी परम्परानुसार किसी भी खानकाह एवं दरगाह पर होने वाले आफिशियली अस्ल उर्स कार्यक्रम वही माने जाते हैं जो परम्परागत सज्जादानशीन एव मुतावल्ली के तत्वाधान में होते हैं।