बरेली : दीपावली के एक सप्ताह पहले अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत एवं पूजन पुत्र संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस बार 28 नवंबर गुरुवार को माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना से व्रत पूजन करेंगी।
इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्योदय होगा। लेकिन प्रातः 09:40 पर पुष्य नक्षत्र लग जाएगा। सप्तमी मध्यान्ह 12:48 तक रहेगी उपरांत अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी दरअसल यह व्रत पूजन अष्टमी तिथि व्याप्त और तारों की छाया में किया जाता है गुरुवार में पुष्य नक्षत्र आ जाने से इस पर्व की महत्वा अत्यधिक बढ़ गई है। ज्योतिष के अनुसार अगर ऐसे शुभ संयोग पड़ जाएं तो इनमें किया गया कोई भी कार्य अनंत फलदायक होता है। और 27 योगों में सबसे कल्याणकारी शुभ योग भी इस दिन व्याप्त रहेगा गुरु-पुष्य योग और शुभ योग के समागम के कारण अगर माताएं इस दिन उपवास रखेंगी तो उनकी संतान के जीवन में हमेशा सुख शांति समृद्धि और धन लक्ष्मी का वास होगा।
इस दिन अत्यंत शुभ योगों में व्रत का कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन संतान की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि के लिए माताएं अहोई माता की पूजा करके यह व्रत रखती हैं।
अहोई पर पूजा का समय-
दिन में अहोई अष्टमी कथा सुनने और पूजन के लिए दोपहर 12:30 से 2 बजे के बीच स्थिर लग्न और शुभ चौघड़िया मुहूर्त का समय श्रेष्ठ होगा। संध्याकाल में अहोई माता के पूजन के लिए शाम 6:30 से 8:30 के बीच स्थिर लग्न का शुभ मुहूर्त होगा।