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क्रूर नहीं, न्यायप्रिय देवता हैं शनि

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा 

बरेली।शनि की ढैया व साढ़ेसाती अर्थात परेशानियों की जड़। इनकी दशा व अंतरदशा तो और भी घातक होती है। लोगों की यह अवधारणा मिथ्या व तर्कहीन है। वास्तव में शनि न्यायप्रिय देवता हैं। यह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुरूप प्रतिफल प्रदान करते हैं।आमतौर पर धारणा है कि शनि देव समस्या प्रदान करने वाले देवता है । जबकि वास्तविकता यह है कि शनि न्याय प्रधान देवता है। शनि सभी के साथ न्याय ही करते हैं। समाज में शनि को लेकर बहुत सी भ्रांतियां है। शनि की साढ़ेसाती को लेकर विशेष उत्सुकता व भय का वातावरण रहता है। आजकल ज्योतिष के विभिन्न पत्रिकाओं की भरमार है टीवी चैनलों पर भी ज्योतिष आधारित बहुत से कार्यक्रम आते रहते हैं। जिनमें से अधिकांश ज्योतिषी केवल और केवल न शनि को लेकर भय का वातावरण ही पैदा करते हैं।

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ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि अशुभ गोचर में आ गए हैं तो, सर्वाधिक कष्ट उठाना पड़ता है। भारत में विद्वानों के बीच शनि की पूजा को लेकर विवाद भी छेड़े गए तथा उन पर विभिन्न माध्यमों से गरमा गरम बहस भी हुई। शनि के बारे में लिखा हुआ कहा जा सकता है कि यदि हम मनसा, वाचा, कर्मणा शुचिता एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करें, तो शनि के आधे दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। जब कुंडली में शनि विपरीत हो जाए तब अपने आप को बेहद सावधान कर लेना चाहिए। हमें सतर्क हो जाना चाहिए, और सत्कर्म की ओर मुड़ जाना चाहिए। यदि शनि के दुष्प्रभाव  के दौर से हम अपना आचरण शुद्ध रखते हैं। तो शनि अच्छा असर डालता है। यदि शनि के बुरे प्रभाव के समय में कोई भी गलत कार्य किया जाता है। तो उसके बुरे परिणाम ही भोगने पड़ते हैं। समाज के हर वर्ग को शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए सकारात्मक पहल पर व्यक्तित्व को ही अपनाना चाहिए।

यदि देश के राजा और सरकारें तथा फिर राजनीति के इस दौर में अच्छे से अच्छा प्रयास करते हुए सच्चे दिल से मानवता की सेवा करते हैं, और निर्णय लेते हैं, तो उन्हें भी अच्छा ही संदेश मिलता है। यदि सत्ताधारी दल केवल सत्ता में चिपके रहने के लिए फैसले लेते हैं तो फिर हानि होगी। शनि देवता का यह प्रभाव हर मनुष्य के जीवन में एक बार आता अवश्य है। शनि इतने अधिक न्याय प्रिय हैं कि वह राजा को रंक और रंक को राजा बनाने में देर नहीं लगाते। शनि भगवान अपराधी को किसी न किसी प्रकार से दंड अवश्य  देते हैं। वहीं  निष्पाप व निष्कलंक धर्मावलंबी को पुरस्कार भी देते हैं। पुराणों में शनि को पीतनेत्र, अधोमुखी- दृष्टिवान कृश देह, लंबी देहयष्टि, सघन सिरायुक्त,आलसी, कृष्णवर्ण, स्नायु सबल, निर्दय बुद्धिहीन मोटे नाखून और दातों से युक्त, मलिनवेश, कांत विहीन, अपवित्र, तमोगुणी क्रोधी आदि माना गया है।

पुराणों के अनुसार शनि पश्चिम दिशा में निवास करते हैं। इस प्रकार से गुजरात एवं कठियावाड़ पर शनि का आधिपत्य माना गया जाता है। शनि का वाहन उनके स्वभाव के अनुरूप गिद्ध है। शनि को महर्षि कश्यप की वंश परंपरा में शामिल किया गया है। पुराणों में शनि जन्म को लेकर कथा आती है कि, भगवान सूर्य में अपनी हर संतान के लिए अलग-अलग लोको की स्थापना की लेकिन शनि इस व्यवस्था से खुश नहीं हुए। शनि ने हर लोक पर हमला करने का निश्चय किया जिसके कारण सूर्य देव को दुख हुआ। उन्होंने भगवान शिव से शनि को समझाने का प्रयास किया। लेकिन फिर भी नहीं मान रहे थे। तब भगवान शिव को शनि पर गुस्सा आ गया और उन्हें अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। उधर शनि ने अपनी ही मारक दृष्टि का प्रयोग किया। दोनों की दृष्टि से उत्पन्न दिव्य ज्योति शनि लोक पर छा गई। इसके बाद शिवजी ने अपने त्रिशूल का प्रयोग किया। जिसे शनि सहन नहीं कर पाए और अचेत हो गये। तब पुत्र मोह से व्याकुल होकर सूर्यदेव ने शनि को जीवनदान देने की अपील की तब कहीं जाकर शनि को फिर से जीवनदान मिला। और अपनी सेवाएं भगवान शिव को देने की बात रखी।

शनि की वीरता और युद्ध कौशल से प्रभावित होकर शिव जी ने शनि को अपना सेवक बनाकर उन्हें जीव धारियों को कर्मानुसार  दंड देने के लिए दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया। शनि की अनेकानेक कथाएं पुराणों में मिलती हैं। रामायण से पता चलता है कि लंका में रावण ने अपने बाहुबल से शनि को भी अपने दरबार में बंदी बना लिया था। और वीर हनुमान का ही प्रताप था कि उनको रावण को चंगुल से मुक्त कराया था। तभी से बात प्रचलन में आ गई थी कि जो भी कोई अपने आने वाले समय में हनुमान जी के सच्चे दिल से प्रार्थना करेगा। उसका खराब शनि कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। यह बात सही भी है यदि, आपके जीवन में शनि का बुरा प्रभाव दिखाई पड़ने लग जाए तो आप सभी सच्चे दिल से हनुमानजी की आराधना करें और हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, हनुमान अष्टक, का पाठ करें। शनिवार को शनि मंदिरों में पूजा अर्चना करने के बाद हनुमान जी के दर्शन अवश्य करने चाहिए। मंगल और शनिवार को हनुमान जी के दर्शन करने से भी शनि के बुरे प्रभाव कमजोर हो जाते हैं। शनिवार को घर में आटा लाना चाहिए। कबाड़ बेचना चाहिए और उससे कुछ खरीदना भी चाहिए। घर की साफ सफाई करनी चाहिए। पीपल पर दीपक जलाना और जल भी चढ़ाना चाहिए। शनिवार के दिन कुत्तों चीटियों को कुछ खिलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त समय समय पर अन्य बहुत सारे उपाय भी लोगों को बताए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार स्वास्थ्य, चरित्र, पद सभी को प्रभावित करता है। यदि आप सच्चे मन से पूर्ण ईमानदारी व न्याय के साथ सद्गुणों को लेकर जीवन व्यतीत करते हैं तो, शनि उसी प्रकार से प्रभावशाली होता है। नहीं तो विपरीत प्रभाव तो मिलता ही है। कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि आप सही कर रहे हैं, लेकिन वह नैसर्गिक व प्राकृतिक रूप से अन्याय पूर्ण होता है। तो फिर शनि उसे भी दंड प्रदान करते हैं। इसलिए शनि से डरना नहीं चाहिए। 

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