ज्योतिषाचार्य -पंडित मुकेश मिश्रा
बरेली।हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की महिमा बेहद खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास आठवां महीना होता है। इस साल कार्तिक मास की शुरुआत 21 अक्टूबर 2021 से हो रही है, जो कि 19 नवंबर तक रहेगा। स्कंद पुराण में कार्तिक मास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक मास के समान अन्य कोई मास नहीं है। जिस तरह से वेद के समान कोई शास्त्र, गंगा के समान कोई तीर्थ और सतयुग के समान कोई युग नहीं है। कार्तिक मास को सबुद्धि, लक्ष्मी और मोक्ष प्राप्त कराने वाला महीना माना जाता है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास के दौरान तुलसी पूजा का खास महत्व है। यूं तो सालभर तुलसी की पूजा की जाती है, लकिन कहा जाता है कि कार्तिक मास में तुलसी के सामने दीपक जालने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस बार कार्तिक मास 21 अक्टूबर से शुरू होकर 19 नवंबर तक चलेगा। मान्यता है कि कई महीने से लंबी निद्रा में सोए भगवान विष्णु इस महीने जाग जाते हैं। कार्तिक के महीने में तुलसी की नियमपूर्वक पूजा करने और दीपक जलाने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।पुराणों में कहा गया है कि जिस घर में तुलसी होती है, ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी का विवाह शालिग्राम से हुआ था, इसलिए कहा जाता है कि जो तुलसी की भक्ति करता है, उसको भगवान की कृपा मिलती है। एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तुलसी को वरदान दिया था कि मुझे शालिग्राम के नाम से तुलसी के साथ ही पूजा जाएगा और जो व्यक्ति बिना तुलसी मेरी पूजा करेगा, उसका भोग मैं स्वीकार नहीं करूंगा। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के चारों ओर स्तंभ बनाकर उसे तोरण से सजाना चाहिए। स्तंभों पर स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। रंगोली से अष्टदल कमल के साथ ही शंख चक्र व गाय का पैर बनाकर सर्वांग पूजा करनी चाहिए। तुलसी का आवाहन करके धूप, दीप, रोली, सिंदूर, चंदन, नैवेद्य व वस्त्र अर्पित करना चाहिए. तुलसी के चारों ओर दीपक जलाकर उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
*महीनों में श्रेष्ठ माना गया है कार्तिक मास*
शास्त्रों में वेद, नदियों में गंगा और युगों में सतयुग श्रेष्ठ माने गए हैं। उसी प्रकार कार्तिक मास को भी सर्वश्रेष्ठ महीना माना गया है। माना जाता है कि अगर आपके काम अटके हुए हैं, व्यापार में लाभ नहीं हो रहा है तो आप कार्तिक मास में विधि-विधान से तुलसी पूजा करें। आपके सारे संकट दूर हो सकते हैं।
*तुलसी पूजन का महत्व*
हिंदू धर्म में तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में तुलसी की पूजा विशेष फलदायी होती है। शालीग्राम के रूप में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह भी इसी महीने कराया जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि तुलसी पूजन से यमदूतों का भय समाप्त हो जाता है। इस महीने लगातार दीपदान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
*कार्तिक महीने में पड़ते हैं ये त्योहार*
कार्तिक महीने में कई त्योहार होते हैं। इनमें करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैयादूज और छठ पूजा जैसे महापर्व शामिल हैं। इसके साथ ही इस महीने देवउठानी एकादशी का त्योहार भी होता है। जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन चातुर्मास की समाप्ति के बाद श्रीहरि भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है और इसी दिन से शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुवात भी होती है।
*जरूर करें इन 5 नियमों का पालन*
1. हर रोज शाम के समय तुलसी के नीचे दीपक जरूर जलाएं। माना जाता है कि इस माह में व्यक्ति की सभी बातें तुलसी के जरिए ही भगवान नारायण तक पहुंचती हैं। तुलसी नारायण को अति प्रिय हैं।
2. कार्तिक महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाना चाहिए। साथ ही लहसुन, प्याज, मांसाहर और शराब का सेवन भी छोड़ दें। साथ ही भूमि पर शयन करना चाहिए। इस महीने में पूरी तरह से सात्विक जीवन जीना चाहिए।
3. कार्तिक मास में इंद्रिय संयम की भी बात कही गई है क्योंकि सात्विक जीवन तन से ही नहीं, मन से भी होना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। साथ ही लोगों की निंदा, चुगली, विवाद, खाने के प्रति आसक्ति, अत्यधिक नींद लेने आदि की आदत का त्याग करना चाहिए। ये महीना पूरी तरह से तप करने वाला माह माना गया है।
4. कार्तिक माह में गंगा स्नान भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। लेकिन आपके लिए ये संभव न हो तो आप रोजाना नहाते समय किसी बाल्टी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।
5. भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, विष्णु सहस्त्रनाम, गीता का पाठ और यज्ञ आदि करना चाहिए। इसके अलावा कार्तिक माह को दान का महीना माना जाता है। ऐसे में आपके जिसको अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो दान दे सकते हों, वो दें। लोगों की मदद करें और पुण्य कार्य करें. इससे बेहद शुभ फल प्राप्त होते हैं।