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कई मंगलकारी संयोगो में मनाया जाएगा महापर्व छठ

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बरेली: प्रकृति प्रेम और आस्था का महापर्व छठ इस बार 8 नवंबर सोमवार से शुरू हो रहा है। यह महापर्व चार दिनों तक चलेगा। ज्योतिष के अनुसार यह महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। सूर्य उपासना का यह महापर्व सूर्य भगवान को प्रसन्न कर संतान की मनोकामना और कुशलता के लिए मनाने का विधान है। 

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ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि चार दिनों का महापर्व कई मंगलकारी संयोगो को लेकर आ रहा है। नौ नवंबर को छठ व्रती रस केसरी व बुधादित्य योग मे खरना का प्रसाद बनाकर चंद्रमा को अर्घ देने के बाद शाम में प्रसाद ग्रहण करेंगी। सूर्य और चंद्रमा के योग से रस केसरी और सूर्य व बुध के योग से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है जो बेहद ही मंगलकारी है। 10 नवंबर को अनंत शुभ फलदायक गजकेसरी योग भी रहेगा इस दिन गुरु, चंद्रमा के साथ रहने से गजकेसरी योग में व्रती सायं कालीन अर्ध्य देंगी, वहीं चंद्रमा के साथ द्वादश भाव में शुक्र के रहने से अनफा योग का भी निर्माण होगा। अगले दिन यानी 11 नवंबर को पराक्रम योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ देकर व्रत का समापन करेंगे। सूर्य और मंगल की युति से पराक्रम योग का निर्माण हो रहा है। कुल मिलाकर के यह संयोग भुवन भास्कर की महती कृपा का प्रकाश विखेरेगे, जिससे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

 *भगवान भास्कर की मानस बहने षष्ठी देवी*
अथर्व वेद के अनुसार भगवान भास्कर की मानस 160 देवी है। जिसे बोलचाल में व्रती छठी मैया से संबोधित करते हैं। प्रकृति के अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई थी। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाला बताया गया है। बालक के जन्म से छठे दिन भी षष्ठी मैया की पूजा अर्चना की जाती है। जिससे बच्चों के ऊपर ग्रहों का प्रभाव ना पड़े।

*छठी व्रत की पूजन विधि* चतुर्थी-  कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को स्नान नए वस्त्र धारण कर व्रत का आरंभ होता है 

पंचमी- पंचमी यानी खरना पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। 

षष्ठी- ठेकुआ प्रसाद बनाते हैं। बांस की टोकरी फलों से सजाते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ देते हैं।

सप्तमी- सूर्योदय के समय पूजा कर अर्ध्य अर्पित कर प्रसाद वितरित किया जाता है।

*किस दिन निभाई जाएगी कौन सी रस्म*

आठ नवंबर- नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत

नौ नवंबर- खरना

दस नवंबर- छठ पूजा, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

ग्यारह नवंबर- छठ पूजा समापन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य

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