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उर्स का दूसरा दिन : पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा: मौलाना मुख़्तार बहेड़वी

 

आज उर्स-ए-रज़वी के दूसरे दिन आगाज़ बाद नमाज़ ए फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुआ। सभी प्रोग्राम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मिया) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार हुए जिसमे सीमित संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत कर आला हज़रत को खिराज़ पेश किया। सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ कारी सखावत ने  तिलावत-ए-कुरान से किया। हाजी गुलाम व आसिम नूरी ने मिलाद नज़राना पेश किया। निज़ामत (संचालन) कारी युफुस रज़ा संभली ने की। मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के सदर (प्रिंसिपल)मुफतीआकिल, मुफ्ती सलीम नूरी,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ्ती जमील,मौलाना अख्तर,मुफ्ती मोइनुद्दीन की मौजदूगी में उलेमा की तक़रीर का सिलसिला चलता रहा।
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ख़ुसूसी ख़िताब मुफ्ती अय्यूब, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मौलाना स्वाले हसन,मौलाना अबु बकर मौलाना कमर रज़ा ने खिताब किया। सभी वक्ता ने सुन्नियत व आला हज़रत के मिशन पर रोशनी डाली। आला हज़रत के मिशन को फरोग देने वाले हुज्जातुल इस्लाम,मुफ्ती आज़म हिन्द,मुफ़स्सिर ए आज़म व रेहान ए मिल्लत की ज़िंदगी व कारनामों को याद कर खिराज़ पेश किया। सुबह 9.58 मिनट पर रेहान ए मिल्लत व 10.40 पर हज़रत जिलानी मियां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। कारी सखावत ने फातिहा पढ़ी। शज़रा कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने पढ़ा। ख़ुसूसी दुआ मुफ्ती अनवर अली ने की।

  मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि दिन में नात-ओ-मनकबत का दौर जारी रहा। मुख्य कार्यक्रम रात 9 बजे शुरू हुआ। जिसमें देश भर के नामवर उलेमा की तक़रीर हुई। मौलाना मुख़्तार बहेड़वी ने कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। मौजूदा हालात के मद्देनजर मुसलमान अपनी बहन-बेटियों की खुद हिफाज़त करें। उनको पर्दे की करने की ताक़ीद करे। बेटियाँ जब शादी लायक हो जाये तो अच्छा घर देखकर उनकी शादी कर दे। साथ ही बेटियों को दहेज देने जी जगह अपनी विरासत में हिस्सा दे।

 मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि हमे बुजुर्गों से फ़ैज़ हासिल करना है तो शरीयत के मुताबिक चलना होगा। उन्होंने नोजवानों को आगाह करते हुए कहा कि वो गुमराही से दूर। साथ ही आगे कहा कि आज दुनिया भर में मसलक ए आला हज़रत पर जो काम चल रहा है ये सब रेहान-ए-मिल्लत की देन है। खानदान ए आला हज़रत की आप पहली शख्सियत है जिन्होंने यूरोप,अमेरिका, साउथ अफ्रीका आदि मुल्कों के दौरे कर मसलक ए आला हजरत को फरोग देने का काम किया। कारी सखावत ने कहा कि आला हजरत व मुफ़्ती आज़म हिन्द के दर से कोई भी खाली हाथ नही लौटा। आला हज़रत ने मज़हबी ख़िदमात के साथ साइंस पर कलम चलाई। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने मौजूदा वक्त में मुसलमानों के सुलगते मसलो पे भी चर्चा की।

मौलाना ज़ाहिद रज़ा, मौलाना बाशीरुल क़ादरी,मुफ्ती अनवर हुसैन (नेपाल) आदि ने भी खिताब किया। देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आज़म हिन्द की कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। प्रोग्रम देर रात तक जारी था।04 अक्टूबर सोमवर:-बाद नमाज़ ए फ़ज़्र   कुरानख्वानी होगी। सुबह 8 बजे तक़रीर शुरू होगी। दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर आला हजरत का कुल शरीफ होगा। इसी के साथ 3 रोज़ा उर्स का समापन होगा।

आज उर्स-ए-रज़वी के दूसरे दिन आगाज़ बाद नमाज़ ए फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुआ। सभी प्रोग्राम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मिया) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार हुए जिसमे सीमित संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत कर आला हज़रत को खिराज़ पेश किया। सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ कारी सखावत ने  तिलावत-ए-कुरान से किया। हाजी गुलाम व आसिम नूरी ने मिलाद नज़राना पेश किया। निज़ामत (संचालन) कारी युफुस रज़ा संभली ने की।
मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के सदर (प्रिंसिपल)मुफतीआकिल, मुफ्ती सलीम नूरी,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ्ती जमील,मौलाना अख्तर,मुफ्ती मोइनुद्दीन की मौजदूगी में उलेमा की तक़रीर का सिलसिला चलतारहा। ख़ुसूसी ख़िताब मुफ्ती अय्यूब, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मौलाना स्वाले हसन,मौलाना अबु बकर मौलाना कमर रज़ा ने खिताब किया। सभी वक्ता ने सुन्नियत व आला हज़रत के मिशन पर रोशनी डाली। आला हज़रत के मिशन को फरोग देने वाले हुज्जातुल इस्लाम,मुफ्ती आज़म हिन्द,मुफ़स्सिर ए आज़म व रेहान ए मिल्लत की ज़िंदगी व कारनामों को याद कर खिराज़ पेश किया। सुबह 9.58 मिनट पर रेहान ए मिल्लत व 10.40 पर हज़रत जिलानी मियां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। कारी सखावत ने फातिहा पढ़ी। शज़रा कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने पढ़ा। ख़ुसूसी दुआ मुफ्ती अनवर अली ने की।

    मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि दिन में नात-ओ-मनकबत का दौर जारी रहा। मुख्य कार्यक्रम रात 9 बजे शुरू हुआ। जिसमें देश भर के नामवर उलेमा की तक़रीर हुई। मौलाना मुख़्तार बहेड़वी ने कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। मौजूदा हालात के मद्देनजर मुसलमान अपनी बहन-बेटियों की खुद हिफाज़त करें। उनको पर्दे की करने की ताक़ीद करे। बेटियाँ जब शादी लायक हो जाये तो अच्छा घर देखकर उनकी शादी कर दे। साथ ही बेटियों को दहेज देने जी जगह अपनी विरासत में हिस्सा दे।

 मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि हमे बुजुर्गों से फ़ैज़ हासिल करना है तो शरीयत के मुताबिक चलना होगा। उन्होंने नोजवानों को आगाह करते हुए कहा कि वो गुमराही से दूर। साथ ही आगे कहा कि आज दुनिया भर में मसलक ए आला हज़रत पर जो काम चल रहा है ये सब रेहान-ए-मिल्लत की देन है। खानदान ए आला हज़रत की आप पहली शख्सियत है जिन्होंने यूरोप,अमेरिका, साउथ अफ्रीका आदि मुल्कों के दौरे कर मसलक ए आला हजरत को फरोग देने का काम किया। कारी सखावत ने कहा कि आला हजरत व मुफ़्ती आज़म हिन्द के दर से कोई भी खाली हाथ नही लौटा। आला हज़रत ने मज़हबी ख़िदमात के साथ साइंस पर कलम चलाई। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने मौजूदा वक्त में मुसलमानों के सुलगते मसलो पे भी चर्चा की।

मौलाना ज़ाहिद रज़ा, मौलाना बाशीरुल क़ादरी,मुफ्ती अनवर हुसैन (नेपाल) आदि ने भी खिताब किया। देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आज़म हिन्द की कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। प्रोग्रम देर रात तक जारी था।04 अक्टूबर सोमवर:-बाद नमाज़ ए फ़ज़्र   कुरानख्वानी होगी। सुबह 8 बजे तक़रीर शुरू होगी। दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर आला हजरत का कुल शरीफ होगा। इसी के साथ 3 रोज़ा उर्स का समापन होगा।

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