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आँखों के रास्ते दिल जीतने वाले प्रसिद्ध सुर्मा किंग हाशमी ने दुनिया को कहा अलविदा

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पम्मी वारसी

बरेली | देश और दुनिया में बरेली के सुरमें में एक पहचान देने वाली शख्सियत हम सबके बीच से रुक्सत हो गई,चार पीढ़ीयो से सुरमें का कारोबार कर रहे थे,पहली पीढ़ी हाशम साहब,दूसरी पीढ़ी मोहम्मद कासम, तीसरी पीढ़ी हाफिज मोहम्मद यासीन और चौथी पीढ़ी एम.हसीन हाशमी रहे अब पांचवी पीढ़ी में एम हसीन हाशमी के बेटे सोहेल हाशमी और हाजी शावेज़ हाशमी सहित एक बेटी शाहज़ी हाशमी हैं।एम हसीन हाशमी ने 1971 में अपनी फ़र्म एम हसीन हाशमी के जरिये दुनियाभर में बरेली के नाम मशहूर किया और बरेली सुरमें के नाम से पहचाना जाने लगा,आपकी शादी शहिदा हाशमी से 1971 में हुई थी,1991 में बरेली नगर पालिका के वाइस चेयरमैन पद की ज़िम्मेदारी हासिल की|
1980 में बरेली में जुलूस ए मोहम्मदी की शुरुआत की और सरपरस्ती की ज़िम्मेदारी एम हसीन हाशमी को मिली,खुद्दामे रसूल कमेटी में एम हसीन हाशमी,मौलाना गुलाम ,रशीद सदर,नज्म शम्सी सचिव इस्तेयख शम्सी नायब सदर और कासिम कश्मीरी रहे।साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुशायरों का आयोजन किया,बरेली में होने वाली मुशायरे की महफ़िलो की सरपरस्ती की,अंतरराष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी और मुनव्वर राणा जैसे मशहूर शायरो से दोस्ती रही। वही  जनसेवा टीम,बरेली हज सेवा समिति,समाजसेवा मंच आदि सामाजिक संगठनों ने संरक्षक रहे।
हाशमी साहब की दरगाह आला हजरत के सभी लोगों से नजदीकियां रही।एम हसीन हाशमी कौमी एकता भाईचारे की एक मिसाल रहे,वह हर मज़हब के ज़रूरतमंद लोगों की मदद में हमेशा आगे रहते थे,

आज उनके इन्तेक़ाल की खबर मिलते ही  समाजसेवी नदीम शम्शी,सलमान शम्सी, , नावेद हाशमी,नूर हाशमी,इब्राहिम हाशमी,मोहम्मद अली शम्सी,हाजी ज़ाकिर हुसैन,हाजी जहीद हुसैन,मुजाहिद इस्लाम आदि पहुँचे और मगफिरत की दुआ की।

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