फतेहगंज पश्चिमी।। सरकार द्वारा मानदेय वृद्धि की घोषणा को अपने प्रति अपमान पूर्ण बताते हुए शिक्षामित्रों ने टोल प्लाजा पर बने शिक्षा मित्र के निज निवास पर बैठक कर विरोध जताया। शिक्षामित्रों का कहना है कि मामूली मानदेय वृद्धि से उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र का अपमान किया जा रहा है। पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार स्थाई समाधान करे। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष कपिल यादव ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग मे शिक्षामित्र बीते 20 वर्ष से सेवाएं दे रहा है। पिछली अखिलेश सरकार ने इनको सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था तब शिक्षामित्रों को लगभग 40 हजार रूपये का वेतन मिल रहा था। 25 जुलाई 2017 को प्रदेश सरकार की लचर पैरवी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया और पुनः शिक्षामित्र पद पर वापस भेज दिया। तब से लगातार शिक्षामित्र सरकार से अपने स्थाई समाधान की मांग कर रहा है।
इस दौरान अवसाद से चलते लगभग पांच हजार शिक्षामित्र अपने प्राणों की आहुति भी दे चुके है लेकिन भाजपा सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए अपनी संवेदना व्यक्त नही की और अब अल्प मानदेय वृद्धि कर सरकार शिक्षामित्रों का अपमान कर रही है। महामंत्री कुमुद केशव पांडे ने कहा कि सत्र मे भारतीय जनता पार्टी अपने वादे से मुकर गई। एक बार फिर मामूली मानदेय वृद्धि का झुनझुना शिक्षामित्रों को थमा दिया। शिक्षामित्रों को मानदेय नही स्थाई समाधान चाहिए। अगर उत्तर प्रदेश सरकार ने समय रहते स्थाई समाधान नही किया तो इसका खामियाजा 2022 में भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा। विरोध करने वालों मे भगवान सिंह यादव, विजय चौहान, आसिम हुसैन, चरन सिंह, फरजंद अली, हेत सिंह यादव, मोहम्मद यूनुस अंसारी, सत्यम गंगवार, धर्मेंद्र पटेल सहित कई शिक्षामित्र मौजूद रहे।।