बरेली। दरगाह आला हज़रत के वरिष्ठ मुफ्ती मुफ्ती अफ़रोज़ आलम
सुबह 10 बजे दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाई। इसके बाद ईसाले सवाब की महफ़िल हुई।
दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) ने मुफ़्ती साहब के आवास पर पहुंचकर परिजनों से मुलाक़ात की, सांत्वना दी और ख़ास दुआ की। उन्होंने कहा कि “मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम का इस तरह अचानक दुनिया से रुखसत होना सुन्नी मुसलमानों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं।”
इस मौके पर कई प्रमुख उलेमा व धार्मिक हस्तियों की मौजूदगी रही, जिनमें मुफ्ती आकिल रज़वी (मंज़र ए इस्लाम के सदर), मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती अय्यूब खान नूरी, मुफ्ती मोइनुद्दीन, मौलाना अख्तर, मुफ्ती जमील, मुफ्ती सैयद कफील हाशमी, मुफ्ती ज़ईम रज़ा शामिल रहे।
टीटीएस, जमात रज़ा-ए-मुस्तफा और अन्य सुन्नी संगठनों से परवेज़ नूरी, शाहिद खान नूरी, औरंगज़ेब नूरी, अजमल नूरी, आदिल रज़ा, मुजाहिद बेग, अशमीर रज़ा, मंज़ूर रज़ा, शरीक बरकाती, गौहर खान, सुहैल रज़ा, मिर्ज़ा जुनैद आदि शख्सियतों की भी शिरकत रही।
दरगाह के प्रवक्ता नासिर कुरैशी के अनुसार, मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम अपने पीछे पत्नी, तीन बेटियाँ और एक बेटा छोड़ गए हैं।
