बरेली। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों को अन्य विद्यालयों में मर्ज (युग्मन) किए जाने के आदेश के खिलाफ जिले के शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। शिक्षा बचाओ संघर्ष मोर्चा
ज्ञापन में बताया गया है कि 16 जून 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार, कम नामांकन वाले स्कूलों को पास के विद्यालयों के साथ मर्ज किया जा रहा है। सरकार इसे दूरगामी लाभदायक बताकर उचित ठहरा रही है, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश “निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009” और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल उद्देश्य के विपरीत है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क और निकटतम विद्यालय में शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। परिषदीय विद्यालयों की स्थापना गांव-गांव इसी उद्देश्य से की गई थी। युग्मन के कारण जब बच्चों को 2-3 किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल भेजा जाएगा, तो ड्रॉपआउट बढ़ेगा और बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
शिक्षकों ने बताया कि कम नामांकन का मुख्य कारण मूलभूत सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी, प्रत्येक वर्ष गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी, मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों और मदरसों की भरमार और न्यूनतम उम्र की शर्तें हैं, जिनके चलते अभिभावक प्राथमिक विद्यालयों की जगह निजी संस्थानों में बच्चों का नामांकन कराते हैं।
ज्ञापन में मांग की गई कि शासन को वास्तविक कारणों का अध्ययन कर स्कूलों को बंद करने की बजाय सुविधाओं में सुधार और शिक्षक बहाली जैसे ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि युग्मन के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए स्कूलों के संचालन के लिए स्पष्ट और सकारात्मक आदेश जारी किया जाए।
इस अवसर पर भानु प्रताप सिंह (यूटा जिला अध्यक्ष),प्रवेश कुमारी यादव , महिला शिक्षक संघ,संजीव मेहरोत्रा , मुख्य संयोजक, नरेश गंगवार ,मानवेन्द्र सिंह,प्रियंका शुक्ला ,प्रवेश यादव,ललित चौधरी मो फैसल,कैलाश मुकेश सक्सेना जितेंद्र मिश्रा सहित सैकड़ो शिक्षक मौजूद रहे।
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