बरेली। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी
मौलाना ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ा विरोध किया था, जिसका केंद्र पटना रहा। इसी दौरान रमजान का महीना आया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम आवास पर रोज़ा–इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया। इस इफ्तार में देवबंदी और सुन्नी बरेलवी दोनों वर्गों के उलेमा को दावत भेजी गई। देवबंदी उलेमा ने दावतनामा लेने से इंकार कर इफ्तार का बहिष्कार किया, जबकि बरेलवी उलेमा ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिरकत की। यहीं से बिहार के मुसलमानों में दो स्पष्ट खेमे बन गए।
इसके बाद बरेलवी केंद्र इदार-ए-शरिया पटना पहुँचा, जहां बरेलवी नेतृत्व को सरकार में शामिल कर अलग-अलग जिम्मेदारियाँ दी गईं। मौलाना के अनुसार इसी कारण बिहार के 60% बरेलवी मुसलमानों ने नीतीश–बीजेपी गठबंधन को वोट दिया, जबकि देवबंदी मुसलमान कांग्रेस गठबंधन की तरफ झुके। वोटों के इस बंटवारे ने बिहार का चुनाव परिणाम निर्धारित कर दिया।
मौलाना रज़वी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी तंज कसते हुए कहा कि । कुछ दिन पहले अखिलेश यादव बरेली आए थे, लेकिन उन्होंने दरगाह आला हज़रात पर हाज़िरी नहीं दी, जिससे यूपी के बरेलवी मुसलमानों में नाराजगी है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सहारनपुर जाते समय देवबंद अवश्य जाते हैं, लखनऊ में नदवा भी जाते हैं, लेकिन दरगाह आला हजरत कभी नहीं आते। जबकि यूपी में लगभग 60% सुन्नी बरेलवी मुसलमान रहते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना किसी भी दल के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है।




