बरेली।
रामनगर स्थित यह झील महाभारत कालीन ‘यक्ष-युधिष्ठिर संवाद’ की साक्षी मानी जाती है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि यह केवल एक झील नहीं, बल्कि “यक्ष सरोवर” है, जो पौराणिक गौरव और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार प्रदेश में नदियों और झीलों के संरक्षण एवं पुनरुद्धार का कार्य तेज़ी से चल रहा है।
उन्होंने बताया कि लीलौर झील को न केवल पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, बल्कि इसके किनारे हरियाली बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण भी कराया जाएगा। साथ ही ‘द्रौपदी थीम पार्क’ की भी योजना है, जो पर्यटकों को आकर्षित करेगा। मंत्री ने स्थानीय लोगों से भी पर्यावरण की रक्षा में भागीदारी निभाने का आह्वान किया और गांव को स्वच्छ बनाए रखने की अपील की।
52 हेक्टेयर में फैली ऐतिहासिक झील
जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने जानकारी दी कि लीलौर झील 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है और बदायूं की सरसोता झील के बाद यह क्षेत्र की सबसे प्राचीन झीलों में गिनी जाती है। उनका प्रयास रहेगा कि झील को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर स्थानीय लोगों को रोजगार और व्यापार के नए अवसर प्रदान किए जाएं।
इस अवसर पर सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार, जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल, विधायक डॉ. राघवेन्द्र शर्मा, डॉ. एमपी आर्य, भाजपा जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह, रामनगर ब्लॉक प्रमुख पति मित्रपाल सिंह, सीडीओ देवयानी, एडीएम प्रशासन पूर्णिमा सिंह और एसडीएम आंवला नहने राम समेत कई जनप्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने झील किनारे खुदाई कार्य में भाग लेकर विकास की शुरुआत को सार्थकता दी।
