फतेहगंज पूर्वी, एनवीआई रिपोर्टर
बरेली जनपद की फरीदपुर तहसील के गांव पचौमी स्थित बाबा पंचेश्वर नाथ मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और चमत्कारों से जुड़ी एक दिव्य धरोहर भी है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग में स्वयं पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान की थी।
जूना अखाड़े के सदस्य और मंदिर के महंत रामगिरी महाराज ने बताया कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र को पंचमगढ़ कहा जाता था। अज्ञातवास के दौरान पांडव पंचमगढ़ पहुंचे और भगवान शिव की आराधना हेतु यहाँ शिवलिंग की स्थापना की।
दानव ह्रड़म्बा का अंत और क्षेत्र में शांति
पौराणिक कथा के अनुसार, पास ही के गांव नाद में ह्रड़म्बा नामक एक भयानक दानव रहता था, जो राहगीरों और श्रद्धालुओं को निगल जाया करता था। क्षेत्र में भय का माहौल था। पांडवों ने लोगों की प्रार्थना पर ह्रड़म्बा का वध कर क्षेत्र को भयमुक्त किया, जिससे यह स्थल पुण्य भूमि बन गया।
शिवलिंग के चमत्कार से औरंगजेब तक हिला
मुगल काल में औरंगजेब को इस शिवलिंग की चमत्कारी शक्ति के बारे में पता चला। अहंकार में डूबे औरंगजेब ने शिवलिंग को नष्ट कराने के लिए सैनिकों और हाथियों की टोली भेजी। किंतु शिवलिंग को खिंचवाने में असफल रहने पर जब छेनी-हथौड़े चलाए गए, तो शिवलिंग से रक्त की धाराएं बह निकलीं। यह दृश्य देखकर औरंगजेब की सेना भयभीत होकर भाग खड़ी हुई।
इसके बाद औरंगजेब ने अपने वज़ीर को जांच के लिए भेजा। वज़ीर ने शिवलिंग से अपमानजनक चुनौती दी कि यदि उसमें शक्ति है तो दीवार को चला कर दिखाए। चमत्कारस्वरूप, मंदिर की दीवार स्वयं चल पड़ी। यह देख वज़ीर अचंभित रह गया और दौड़कर औरंगजेब को यह सब बताया।
औरंगजेब ने मांगी माफी, दान की 500 बीघा जमीन
घटना से स्तब्ध औरंगजेब स्वयं मंदिर पहुंचा, शिवलिंग के समक्ष शीश नवाया और क्षमा याचना की। अपनी आस्था व्यक्त करते हुए उसने 500 बीघा भूमि मंदिर के नाम पर दान कर दी।
सावन में लगता है श्रद्धालुओं का मेला
इस पवित्र स्थल को “पंचेश्वर नाथ” नाम पंच पांडवों द्वारा स्थापित पांच शिवलिंगों के कारण मिला। सावन मास में यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं। जनसहयोग से विशाल भंडारे और धार्मिक आयोजन मंदिर परिसर में संपन्न होते हैं।
बाबा पंचेश्वर नाथ मंदिर आज भी श्रद्धा, चमत्कार और इतिहास का प्रतीक बना हुआ है, जहां हर साल सावन में आस्था की अविरल धारा बहती है।
