मुजस्सिम खान ,
रामपुर : हमारे देश में दीपावली का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इसका बड़ा कारण यह है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण पर जीत हासिल करने के बाद अपने घर अयोध्या में वापसी की थी। जिसके बाद उनके आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीपक जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था। और तभी से इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष देश ही नहीं दुनिया में रहने वाले हिंदू धर्म के मानने वालों के बीच में मनाया जाता है। वही किसानों द्वारा अपनी धान की फसल कटाई के बाद इस त्यौहार पर खुशियों का इजहार किया जाता है लेकिन इन दिनों उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर के कुछ इलाकों में बाढ़ आई है व बिन मौसम के हुई बारिश में किसानों की फसलों को तबाह और बर्बाद कर दिया है।
रामपुर उत्तराखंड की सीमा से सटे है इसलिए लिहाज से वहां पर होने वाली बारिश का असर यहां पर भी देखने को मिलता है इसका बड़ा कारण यह है कि जनपद की तीन प्रमुख नदियां रामगंगा, कोसी और पीलाखार भारी वर्षा और उत्तराखंड के डैम से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के चलते बेहद खतरनाक हो जाती है और फिर अपना कहर बरपाती है हाल ही के दिनों में बिना मौसम के भारी बारिश हुई है और जिसके बाद कोसी नदी पूरी तरह उफान पर थी जिसके चलते कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस आया और किसानों की फसलों को अपने आगोश में समा लिया। इसके अलावा लगातार हुई कई दिन तक बारिश में भी किसानों की खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया। किसान मायूस है और दीपावली का त्यौहार चंद रोज के बाद है ऐसे में उनकी ज्यादातर खुशियां बाढ़ और बरसात के पानी के साथ बह चुकी हैं। सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ दिखावा ही हो रहा है। फसलों के नुकसान का मुआवजा अभी किसानों से काफी दूर है। दूसरी ओर बाढ़ और तेज बारिश के चलते रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम भी बढ़ चुके हैं।
स्थानीय किसानों का कहना है कि भारी बारिश के चलते परेशानियां बढ़ी है। अधिकतर फसल मारी गई है ऐसे में दिवाली का त्यौहार कैसा रहेगा , आप खुद समझ सकते है। उनकी मांग है जल्द सरकार मुआवजे की व्यवस्था कराये ,जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल सिंह ने बताया कि बरसात के चलते जिले के किसानों को काफी नुकसान हुआ है। जिन किसानों ने फसल का बीमा करा रखा था उन्हें बीमा से लाभ दिलाने की कोशिश है। आपदा राहत से धनराशि मिलनी है उसका लेखपाल द्वारा सर्वे किया जा रहा है। जिन किसानों का 33 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ होगा उन्हें आपदा राहत से धनराशि दी जाएगी।
बाल और बारिश के टायर से बर्बाद हो चुके किसानों के चेहरों पर इस दीपावली पर महज मायूसी ही है हालांकि यह बात अलग है किसानों को अपने इस बुरे वक्त के जल्द गुजर जाने की पूरी उम्मीद है और वह दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से उनके खेतों में पहले की तरह ही फसलें लहराएंगे और उनके यह पुराने जख्म वक्त के साथ ही भर जाएंगे। दीपावली पर पहले की तरह इस्तेमाल की जाने वाली त्यौहार की सामग्री की बिक्री पर भी काफी असर पड़ा है जहां लोग खुशी खुशी घर सजाने की वस्तुएं को बड़े पैमाने पर खरीदा करते थे उन दुकानों से अब इन वस्तुओं की बिक्री ना के बराबर ही रह गई है फिलहाल सभी को बेहतर वक्त का इंतजार है।
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