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Exclusive :होमियोपैथिक दवा से बचाई पंजाब के किसान की कीन्नू की फसल,

आर्गेनिक खेती के विशेषज्ञ डॉक्टर विकास वर्मा की एक और उपलब्धि,

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मंहगे रसायनिक कीटनाशक और फफूँदी नाशक स्प्रे काम नहीं आए तो किसान ने ली होम्योपैथिक चिकित्सक की मदद,

बरेली/ पीलीभीत। रसायनिक उर्वरक हमारी जमीन को दीमक की तरह चाट रही हैं। इस बात को किसान भी अच्छी तरह समझते हैं। फिर भी वह रसायनिक उर्वरक खेत में डालने का मोह छोड़ नहीं पाते। पंजाब में एक किसान की किन्नू की फसल में ज़बरदस्त कीट थ्रिप्स और माइट्स का प्रकोप हुआ, किसान ने एक से बढ़कर एक महंगी प्रचलित रसायनिक उर्वरक और कीटनाशक दवाओं का स्प्रे किया। मगर, बीमारी ने फसल का पीछा नहीं छोड़ा।

 

 

तब किसान ने प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ विकास वर्मा से सम्पर्क साधा। पीलीभीत के मूल निवासी डॉ विकास वर्मा ने अपने होम्योपैथिक उपचार से किन्नू की फसल की उस बीमारी को ठीक कर दिया। होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ विकास वर्मा बरेली में प्रैक्टिस करते हैं। अब किसान को अपनी फसल से बेहतर उपज मिलने की उम्मीद है।

 

पंजाब के क्लारखेड़ा गाँव के किसान राज कुमार जैन कीन्नू फल की खेती के बड़े किसान हैं। कुछ दिन पहले उनके कीन्नू के बाग में कीट माइट्स और थ्रिप्स का संक्रमण हुआ, पेड़ से कीन्नू के फल सूख कर जमीन पर गिरने लगे। पत्ते और फल अचानक पीले पड़ गये। पत्तियों में घुमाव आने लगा । पेड़ बेजान होने लगे। इस स्थिति से घबराकर उन्होंने रासायनिक कीटनाशक और उर्वरक के एक से बढ़कर एक महँगे स्प्रे खेत में कर डाले। मगर, फसल में कोई लाभ न मिला। उन्होंने अपने बड़े भाई प्रदीप बोराड को समस्या बतायी। उनके भाई प्रदीप बोरड सीनियर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। वह जयपुर निवास करते हैं। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने पीलीभीत के मूल निवासी और रोहिलखंड के सुप्रसिद्ध होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ विकास वर्मा के एग्रो होमियोपैथी नवाचार के बारे में काफ़ी सुन रखा था, और उनसे इस बारे में बात की। डॉ विकास वर्मा भारत में होमियोपैथिक खेती के विशेषज्ञ माने जाते हैं। ( जिसको एग्रो होमियोपैथी भी कहा जाता है)। पंजाब के किसान ने उनसे बात कर के फ़ोटो वीडियो भेज कर दवा मँगवाई।

 

उनकी होम्योपैथिक दवा का चमत्कारिक प्रभाव पाँचवे दिन से ही दिखना शुरू हो गया। पेड़ से फलों का झड़ना रुक गया। १५ दिन के अंदर पेड़ की पत्तियाँ पूरी तरह स्वस्थ हो गयीं। फलों का आकार भी बढ़ गया। कुछ ही दिनों में पूरा बाग स्वस्थ हो गया। डॉ विकास वर्मा की शिक्षा जयपुर के होमियोपैथिक कॉलेज से हुई है। उन्होंने आम अमरूद केला पपीता अंगूर, गन्ना धान सरसों गेहूं चना मटर गोभी लौकी खीरा तोरई मूँग, उड़द हल्दी अलसी नींबू संतरा शरीफा अनार आदि अनेकों फसलों पर होमियोपैथिक दवाओं के सफल प्रयोग किये हैं। पिछले बीस वर्षों में ज़िला बरेली के आस पास और देश के विभिन्न राज्यों से अनेकों किसान उनसे परामर्श कर लाभ उठा चुके हैं। डॉ विकास वर्मा किसानों के मध्य जाकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। वह गोष्ठी कर के किसानों के बीच होम्योपैथिक दवाओं द्वारा खेती से संबंधित चीजें साझा करते हैं। आर्गेनिक और होम्योपैथिक विधि से खेती में वह पिछले २० वर्षों से नए प्रयोग कर रहे हैं।

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