बरेली। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 ललित कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश में बरेली सहित अन्य सीमावर्ती जनपदों में गोवंशीय एवं भैंस वशींय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लम्पी स्किन डिसीज का प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठ नुमा फफोले व घाव हो जाते है, पशुओं को तेज बुखार बना रहता हैं एवं चारा खाना बंद कर देता है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है तथा पशु बांझपन के शिकार हो जाते है। दुधारू पशुओं का दूध लगभग समाप्त हो जाता है। बीमारी 3 से 6 सप्ताह तक बनी रहती है तथा इलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में 3 से 4 माह का समय लगता है। यह बीमारी गाय-भैंसों के साथ-साथ घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट एवं हिरन प्रजाति के पशुओं को सर्वाधिक प्रभावित करती है। मेले प्रदर्शनी में पशुओं के एक स्थान पर एकत्रित होने से लक्षण विहीन पर रोग के वाहक पशुओं के द्वारा यह बीमारी अन्य सभी संपर्क में आने वाले पशुओं में घातक रूप फैलने की प्रबल सम्भावना है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि 04 नवम्बर से चौबारी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर राम गंगा के किनारे राजकीय स्नान मेले का आयोजन किया जाना है। गंगा स्नान मेले के साथ-साथ मेले में अश्व प्रदर्शनी का कार्य भी होता रहा है। लेकिन इस वर्ष शासन से जारी दिशा निर्देशों तथा निदेशक पशुपालन विभाग उ0प्र0 लखनऊ से दूरभाष पर प्राप्त मौखिक आदेश के क्रम में लम्पी स्किन डिजीज रोग के कारण कार्तिक मेले मे अश्व प्रदर्शनी व विपणन मेले के आयोजन पर रोक लगायी गयी है। अतः सभी अश्व प्रदर्शनी एवं विपणन में लगे व्यापारियों, आयोजकों, पशु स्वामियों एवं गंगा स्नान हेतु आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे गंगा स्नान मेले में किसी भी घोड़े, गधे, खच्चर, गाय, बैल व भैंसों को ना लाये एवं किसी भी प्रकार की पशु प्रदर्शनी का आयोजन न करें।