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तापमान में गिरावट एवं आर्द्रता वृद्धि के कारण रबी फसलों में सामायिक कीट एवं रोग के प्रकोप के अचाच एवं प्रबन्धन हेतु एडवाइजरी की गयी जारी

बरेली। उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) विश्व नाथ ने बताया कि बरेली मण्डल के समस्त किसान भाइयों को वर्तमान में तापमान में गिरावट एवं आर्द्रता वृद्धि के कारण रबी फसलों में सामायिक कीट/रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है, जिसके दृष्टिगत अचाच एवं प्रबन्धन हेतु निम्नानुसार एडवाइजरी (परामर्शी) जारी की जा रही हैं।
गेहूँ की फसल में दीमक/गुजिया के जैविक नियंत्रण के हेतु ब्यूवेरियां वैसियाना 1.15 प्रतिशत बायोपेस्टीसाइड 25 किग्रा0 प्रति 80 60-75 किग्रा0 गोबर की खाद में मिलाकर हल्वो पानी का छिटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक का नियंत्रण हो जाता है।

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नीम की खली 10 कुन्टल प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व मिलाने से खेत में दीमक के प्रकोप में कमी आती है। इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफॉस 25 प्रतिशत ईसी 25 लीटर/हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। माहू इस कीट के जैविक नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15 ई0सी0 2.5 लीटर/हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी० अथवा आक्सीडेमोटान-मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० 10 लीटर मात्रा अथवा थायोमेधाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू०जी० लगभग 750 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

 

 

गेरूई रोग में गेरूई काली, नूरे एवं पीले रंग की होती है। गेरूई की पायूँदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते हैं जो बाद में विखर कर अन्य पत्तियों को प्रभावित करते है। काली गेरूई तना तथा पत्तियों दोनों को प्रभावित करती है। इसके नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई०सी० 500 मि०ली० प्रति हे0 की दर से लगभग 600-700 ली० पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लू०पी० 700 ग्राम अथवा मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 20 किग्रा० मात्रा प्रति हे0 की दर से 600 से 700 ली० पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। करनाल बन्ट करनाल बन्ट रोगी दाने आशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते है। करनाल बन्ट के नियंत्रण हेतु बिटस्टेनोल 25 प्रतिशत डब्लू०पी० 2.25 किग्रा0 अथवा प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई०सी० 500 मिली० प्रति हे0 750 ली० पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
सरसों/राई की फसल में आरा मक्खी/बालदार सूड़ी आरा मक्खी एक सूड़ी प्रति पौधा एवं बालदार सूडी 10-15 प्रतिशत प्रकोपित पत्तियों दिखाई देने पर आर्थिक क्षति स्तर मानते हुए मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1.5 लीटर अथवा क्यूनालफॉस 25 प्रतिशत ई०सी० की 125 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी को घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें।

 

 

 

पत्ती सुरंगक (लीफ माइनर) जैविक नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं। कीट के रसायनिक नियंत्रण हेतु आक्सीडेसोटान- मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई०सी० की 10 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। आल्टरनेरिया पत्ती धब्बा इस रोग के नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 20 किग्रा० मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेस 75 प्रतिशत की 20 किग्रा0 अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० 30 किग्रा० मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

 

 

 

सफेद गेरूई रोग के नियंत्रण हेतु गेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 2.0 किग्रा० मात्रा प्रति हे0 की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
आलू में अगेती झुलसा रोग के मामले में शुरूआत में पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे दिखाई पड़ते हैं जो कि धीरे-धीरे बढ़ जाते है। इन धब्बों को निकट से देखने पर इनमें टारगेट बोर्ड जैसे रिंग बने दिखाई पडते हैं। धीरे-धीरे पूरी पत्ती झुलस कर सूख जाती है। ये चिन्ह पौधे में सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर दिखाई पड़ते है जो कि बाद में नई पत्तियों पर भी दिखने लगते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 2.5 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से 750-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

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