लंदन, एजेंसी
उत्तर प्रदेश में एक मंदिर से चुराए गए पत्थर के दरवाजे की चौखट सहित सात प्राचीन कलाकृतियों को स्कॉटलैंड के ग्लासगो के संग्रहालय द्वारा भारत वापस भेजा जाएगा। शहर के संग्रहालयों को संचालित करने वाला धर्मार्थ संगठन ग्लासगो लाइफ ने इस साल की शुरुआत में कलाकृतियों को सौंपे जाने की पुष्टि की। शुक्रवार को ब्रिटेन में कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त सुजीत घोष की उपस्थिति में केल्विनग्रोव आर्ट गैलरी एंड म्यूजियम में इन्हें औपचारिक रूप से सौंपने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। इनमें एक हिंद-फ़ारसी तलवार भी शामिल है, जिसे 14वीं शताब्दी का माना जाता है। 11वीं शताब्दी में कानपुर के एक मंदिर के पत्थर का नक्काशीदार दरवाजा भी शामिल है। घोष ने कहा, ये कलाकृतियां हमारी सभ्यतागत विरासत का एक अभिन्न अंग हैं। ग्लासगो लाइफ के अनुसार 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों से इन्हें लाया गया था, जबकि एक कलाकृति की चोरी हुई थी, जिसे बाद में खरीदा गया था।
ग्लासगाे के संग्रह को उपहार में दी गई थीं ये कलाकृतियां
सभी सात कलाकृतियों को ग्लासगो के संग्रह में उपहार में दिया गया था। ग्लासगो लाइफ, संग्रहालय और संग्रह के प्रमुख डंकन डोर्नन ने कहा, भारत की प्राचीन वस्तुओं के स्वामित्व का हस्तांतरण ग्लासगो के लिए एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है। स्वामित्व हस्तांतरण कार्यक्रम तब हुआ जब ग्लासगो सिटी काउंसिल की शहर प्रशासन समिति ने अप्रैल में वर्किंग ग्रुप फॉर रिप्रेट्रीशन एंड स्पोलिएशन द्वारा भारत, नाइजीरिया और चेयेने नदी तथा साउथ डकोटा, अमेरिका में पाइन रिज लकोटा सिओक्स जनजातियों को51 प्राचीन वस्तुएं वापस करने की सिफारिश को मंजूरी दी।
भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने किया था दौरा
केल्विनग्रोव आर्ट गैलरी एंड म्यूजियम में बैठक के बाद भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के प्रतिनिधियों को ग्लासगो संग्रहालय संसाधन केंद्र में वस्तुओं को देखने का अवसर दिया गया। ग्लासगो लाइफ’ की अध्यक्ष और ग्लासगो सिटी काउंसिल के लिए संस्कृति, खेल और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की समन्वयक बेली एनीट ने कहा, भारत सरकार के साथ हुआ समझौता ग्लासगो की पिछली गलतियों को दूर करने और शहर के संग्रहालय में प्राचीन वस्तुओं के पहुंचने की व्यवस्था पर पारदर्शिता बरतने की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लंदन में भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव जसप्रीत सुखिजा और एडिनबर्ग में भारत के महावाणिज्य दूतावास के महावाणिज्य दूत बिजय सेल्वराज भी शामिल थे।