अयोध्या : भगवान राम की जन्मभूमि के तौर पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखने वाली अयोध्या में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस बार नेपाल सरकार ने दो देवशिलायें भारत को दान के रूप में दी है। यह देवशिलायें उन्ही रास्तों से भारत पहुंची जिन रास्तों से त्रेता युग में भगवान श्री राम खुद बिहार होते हुए जनकपुर गए थे। इन दोनों देवशीलाओं को भगवान राम और सीता के रूप में देख रहे है। आज जैसे गुरूवार दिवशिलायें अयोध्या पहुंची तो उन्हें देखने के लिए भीड़ लग गई। बताया यह भी जा रहा है कि दोनों देवशिलाओं के साथ नेपाल एक प्रतिनिधि मंडल आया जो पूजा पाठ कार्यक्रम में भाग लेगा।
यह दोनों शिलाएं नेपाल सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दान स्वरूप दिया है । शिलाओं को हस्तांतरित करने के लिए प्रतिनिधि के तौर पर नेपाल से जानकी धाम के मुख्य महंत और वहां के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि भी शिला के साथ आए है । नेपाल सरकार की तरफ से यह दोनों प्रतिनिधि श्री राम मंदिर ट्रस्ट को सौंपेंगे । सौंपने के दौरान जो विधि विधान और दान अर्पित करने की जो पद्धति होती है।
ट्रस्टी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कामेश्वर चौपाल ने बताया कि यहां पूजा केवल इतनी होगी कि जो नेपाल से आए हैं प्रतिनिधि , यह दान दिया गया है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को नेपाल सरकार के द्वारा और उनके अधिकृत यह लोग हैं तो जानकी मंदिर जो वहां पर है उनके पूज्य महंत और एक प्रतिनिधि उनके साथ हैं वहां के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि दोनों मिलकर शास्त्र विधि से ट्रस्ट को समर्पित करेंगे ।
जानकारी के मुताबिक नेपाल से लाई गई इन्हीं देव शिलाओं से श्री राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होने वाले रामलला की मूर्ति बनाई जाएगी। शिलाओं के हस्तांतरण के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक होगी । इस बैठक के दौरान शास्त्रीय विशेषज्ञ , धार्मिक विद्वान और कला की दृष्टि से विशेषज्ञ भी मौजूद होंगे । इसी बैठक के दौरान यह तय होगा कि इन शिलाओं से गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठित किए जाने वाले रामलला की मूर्ति तैयार होगी या फिर इनका उपयोग राम दरबार या अन्य कहीं किया जाएगा ।
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