संजीव मेहरोत्रा, महामंत्री, बरेली ट्रेड यूनियंस फेडरेशन
बरेली । आर्थिक अनिश्चितता और महंगाई के बीच लोग अब अपने भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए बेहतर रिटर्न वाले विकल्प तलाश रहे हैं। बैंकों में घटती ब्याज दरों के कारण पारंपरिक बचत साधनों में लोगों का रुझान कम हो रहा है और इसकी जगह व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) को अपनाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड में साप्ताहिक, मासिक या त्रैमासिक आधार पर एक निश्चित राशि निवेश करने की प्रक्रिया है। जुलाई 2024 में एसआईपी निवेश ₹13.09 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो जून 2024 में ₹12.43 लाख करोड़ था।
जून 2025 में समाप्त तिमाही के दौरान 1.67 करोड़ नए एसआईपी खाते खोले गए, जबकि जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में यह संख्या 1.41 करोड़ थी। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद एसआईपी में निवेश का यह बढ़ना उल्लेखनीय है।
असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘ग्रो’ ने अकेले 41.9 लाख नए खाते जोड़कर 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की। जून 2025 में ‘ग्रो’ पर 15.7 लाख नए खाते खुले, जो किसी भी वितरक द्वारा एक महीने में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
विशेषज्ञों का कहना है कि “लो रिस्क, लो गेन” और “हाई रिस्क, हाई गेन” का सिद्धांत आज भी लागू है। जहां बैंक जमा में जोखिम नहीं है लेकिन रिटर्न कम है, वहीं एसआईपी में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती, हालांकि लंबे समय में बेहतर मुनाफे की संभावना बनी रहती है।
