मुमताज अली,
बरेली। बहेड़ी के एमजीएम इंटर कॉलेज में कार्यरत शिक्षक रजनीश गंगवार का एक वीडियो वायरल होने के बाद क्षेत्र में धार्मिक आस्था से जुड़ा विवाद गहराता जा रहा है। वीडियो में शिक्षक छात्रों को संबोधित करते हुए कहते नजर आ रहे हैं— “कांवड़ लेने मत जाना… ज्ञान का दीप जलाना।” इस टिप्पणी को शिवभक्तों की आस्था के खिलाफ माना गया, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया।
वीडियो वायरल होते ही महा काल सेवा समिति, भाजपा कार्यकर्ता और अन्य हिंदू संगठनों ने शिक्षक पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए बहेड़ी कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ आईपीसी की धारा 295-A और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।
महा काल सेवा समिति बहेड़ी के अध्यक्ष शक्ति गुप्ता ने कहा कि शिक्षक का धर्म बच्चों को शिक्षा देना है, न कि धार्मिक भावनाओं को आहत करना। जब शिक्षक ही भटकाव फैलाएंगे तो छात्र किस रास्ते पर जाएंगे?
महंत धर्मेन्द्र रस्तोगी ने कहा कि शिक्षकों को समाज में संस्कार और संस्कृति का संवाहक माना जाता है। इस तरह के बयान बच्चों पर गलत प्रभाव डालते हैं और सामाजिक समरसता को भी प्रभावित करते हैं।
भाजपा नेता राहुल गुप्ता ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा कर रहे हैं, ऐसे समय में इस तरह की टिप्पणियां हिंदू समाज की आस्था पर चोट हैं और इससे क्षेत्रीय माहौल बिगड़ सकता है।
सोमवार को दोपहर में महाकाल सेवा समिति और भाजपा कार्यकर्ता बहेड़ी कोतवाली पहुंचे और इंस्पेक्टर संजय सिंह तोमर को ज्ञापन सौंपते हुए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जिला मुख्यालय पर बड़ा आंदोलन करेंगे और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे।
ज्ञापन सौंपने वालों में दिनकर गुप्ता, सचिन प्रजापति, मुकेश पाल, मुकुल दीप, अंकित रस्तोगी, अर्जुन गुप्ता, रजत गुप्ता, सत्यवीर गुर्जर सहित बड़ी संख्या में शिव भक्त शामिल रहे।
सीओ बहेड़ी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले एमजीएम इंटर कॉलेज के शिक्षक ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कांवड़ यात्रा को लेकर विवादित कविता पाठ किया था। वीडियो सामने आने और शिकायत मिलने के बाद संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
यह विवाद सिर्फ एक बयान का नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, अभिव्यक्ति की सीमा और शिक्षक की भूमिका से जुड़ा गंभीर मामला बन चुका है। एक ओर शिक्षक की बात को ‘शिक्षा पर जोर’ के रूप में देखा जा रहा है, तो दूसरी ओर इसे कांवड़ यात्रा और शिवभक्ति का अपमान मानकर विरोध हो रहा है।
