बरेली। समाज में व्याप्त जातीय भेदभाव और दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करने की दिशा में गणेश उत्सव समिति ने एक सराहनीय कदम उठाया है। खत्री धर्मशाला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान समिति के पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि इस बार नवदुर्गा पर्व से वे सामाजिक बदलाव की एक नई शुरुआत कर रहे हैं। समिति ने ऐलान किया कि वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की जातीय और अंतर्जातीय शादियां कराएंगे — वह भी बिना किसी दहेज के।
समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने बताया कि विवाह कराने के इस अभियान में न तो दहेज लिया जाएगा और न ही कोई जातिगत भेदभाव किया जाएगा। “हमारी प्राथमिकता है दो लोगों का मिलन, न कि उनके जाति प्रमाणपत्र का मिलान,” समिति के एक पदाधिकारी ने कहा। उन्होंने बताया कि अब तक 110 युवाओं का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन हो चुका है और आगे भी लोग कार्यालय में पहुंचकर अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं।
समिति की यह योजना सिर्फ विवाह तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर जोड़ों को हरसंभव सहायता देने की योजना भी है। समिति उनके विवाह की समस्त जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाएगी। इस सामाजिक पहल का उद्देश्य समाज में जातिगत दीवारों को तोड़कर समानता और सौहार्द का वातावरण बनाना है।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस पहल से समाज में नई सोच विकसित होगी और लोग जाति की बंदिशों से बाहर निकलकर मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देंगे। विशेष रूप से उन युवाओं को इससे बल मिलेगा जो अंतरजातीय विवाह करना चाहते हैं लेकिन सामाजिक दबाव के कारण कदम पीछे खींच लेते हैं।
गणेश उत्सव समिति की यह मुहिम आने वाले समय में न केवल बरेली का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन कर सकती है — एक ऐसा शहर जो प्रेम, समानता और सामाजिक न्याय की मिसाल बन जाए।
