वड़ोदरा | कोरोना की दूसरी लहर कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के लिए मुसीबत साबित हो रही है | दरसल गुजरात के साथ देश के दो शहरों में कोरोना का नया रूप देखने को मिला है जहां कोरोना का असर आँखों और कानो पर दिखाई दे रहा है | हालाँकि गुजरात में कोरोना का असर सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है | एक चैनल की रिपोर्ट के अनुसार सूरत में म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के कई मामले आ चुके है | जहां डॉक्टरों को मरीज की जिंदगी बचाने के लिए आँखे निकालनी पड़ी है | चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक ब्लैक फंगस की वजह से आधे दर्जन से ज्यादा लोगो की जिंदगी बचाने के आँखे निकालने पड़ी है | डॉक्टरों ने अनुसार कोरोना से ठीक हो रहे है मरीज एक नए इंफेक्शन का शिकार हो रहे है | यह इंफेक्शन नाक -आँख से होते ब्रेन तक पहुंचता है | इस इंफेक्शन में मरीज की जिंदगी बचाने के लिए आँख को निकालना पड़ता है |
सूरत के निजी अस्पताल के कान एवं गला विशेषज्ञ डॉक्टर भाविन पटेल ने बताते है कि कोरोना की दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस केस सामने आ रहे है | म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में मरीज को आँखों में दर्द , सिर दर्द होता है | जब मरीज इन बातों को इग्नोर करता है तो आगे चलकर उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है |
सूरत शहर के ईएनटी एक्सपर्ट डॉक्टर संकेत शाह के मुताबिक कोरोना ठीक होने के बाद ये फंगल इंफेक्शन पहले साइनस में होता है | इसके बाद 2 से 4 दिन होते ही यह आंख तक पहुंच जाता है. इसके 24 घंटे के भीतर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है | ऐसे में तत्काल आंख निकालने पड़ती है|ताकि इंफेक्शन को बढ़ने से रोका जा सके |
कोरोना की पहली लहर में ब्लैक फंगस ने दी थी दस्तक कोरोना की भारत में दस्तक होते ही गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखने को मिला था |वही सबसे ज्यादा मामले अहमदाबाद में देखे गए थे | बाद में ब्लैक फंगस के केस वडोदरा में भी सामने आए थे | गुजरात में अब तक 50 से अधिक मामले म्यूकोरमाइकोसिस के आ चुके है | डॉक्टरों का इस मामले में कहना है कि ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा शिकार डायबिटीज, ब्लड कैंसर , प्रतिरोधक क्षमता कम होने वाले लोग शिकार हो रहे है |
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