बरेली : देश में राम नवमी के बाद दशहरा का त्यौहार आज बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरा मनाने के लिय परम्परा मुताबिक रावण, मेघनाद, और कुम्भकर्ण के विशाल पुतले बनाये जाते है। यह पुतले बरेली से बनाकर जिले के कोने कोने में जाते है। इस काम के लिए बरेली के रावण वाली गली का एक मुस्लिम परिवार वर्षो से रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण और लंका के पुतले बनाने का काम कर रहा है । पुतला कारीगरों ने बताया कि उनके पुरखे रावण, मेघनाथ, और कुंभकर्ण के साथ अन्य के पुतले बनाया करते थे उन्ही के संगत में रहकर उन्होंने पुतले बनाना शुरू किये थे। आज उनके पुतले यूपी सहित उत्तराखंड में बनकर जाते है। हालांकि इस काम में कोई खास लाभ बचा नहीं है पर परिवार में वर्षों से चली आ रही परम्परा और हिन्दुओं भाइयों के त्योहारों में उनकी खुशी को ध्यान में रखते हुए वह पुतलों का निर्माण करते है।
पुतला कारीगर शहंशाह ने बताया उनका परिवार कई वर्षों से पुतले बनाने का काम कर रहा हैं। इस काम से परिवार का जीवन यापन चल रहा है यहाँ के बने हुए पुतले बरेली में आयोजित होने वाले दशहरा मेलो में जाते हैं। इसे बनाने में पूरा परिवार साथ देता है।पुतला कारीगर सगीर ने बताया कि उनके यहां दशहरे का काम होता है। उनके यहां रावण, मेघनाथ, और कुंभकर्ण के पुतले बनाये जाते है। यह पुतले उनके दादा की कला है जिन्हे उसने अपने दादा से सीखा है। उनके काम का ख़रीददाता सम्मान देते है इस वजह से उनके पास दशहरे के भरपूर आर्डर मिलते है।
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