अनुज सक्सेना/सुमित शर्मा
बरेली के निवासी अब सिर्फ झुमका चौराहे तक सीमित नहीं रहेंगे, क्योंकि शहर के कर्मचारी नगर में एक नया आकर्षण उभरकर सामने आ रहा है। नगर निगम द्वारा यहां अशोक की लाट स्थापित की गई है, जो न सिर्फ अपनी ऊंचाई और भव्यता के लिए चर्चा में है, बल्कि अपने राष्ट्रीय महत्व के कारण भी खास पहचान बना रही है।
अशोक की लाट बनी आकर्षण का केंद्र
कर्मचारी नगर के चौराहे पर अशोक की लाट को स्थापित किया गया, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। देर रात ही वहां मौजूद लोग इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करने लगे। यह देखा गया कि बड़ी संख्या में राहगीरों ने सेल्फी लेना शुरू कर दिया और देर रात तक स्तंभ को निहारते रहे। कई लोगों ने कहा, “यह चौराहा बाकी चौराहों से बिल्कुल अलग और भव्य है, यहां प्रशासन ने शानदार कार्य किया है।”
धार्मिक और राजनीतिक प्रतीकों से हटकर एक राष्ट्रीय प्रतीक
बरेली के अधिकांश चौराहे धार्मिक या राजनीतिक थीम पर आधारित रहे हैं, लेकिन कर्मचारी नगर का यह चौराहा इनसे अलग हटकर देश की एकता, विरासत और सांस्कृतिक गरिमा को दर्शाता है। यह बरेली शहर का पहला ऐसा चौराहा है जो पूरी तरह से राष्ट्रीय पहचान पर केंद्रित है। यही इसे खास बनाता है।
राष्ट्रीय प्रतीक: अशोक की लाट का महत्व
अशोक की लाट भारत का राजचिह्न है, जिसे सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के स्तंभ से लिया गया है। इस प्रतीक को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था – वही दिन जब भारत का संविधान लागू हुआ था। इसमें चार शेरों की आकृति होती है, जो सत्ता, साहस, आत्मविश्वास और गरिमा का प्रतीक है। यह प्रतीक भारत सरकार के सभी आधिकारिक दस्तावेज़ों और संचार माध्यमों में उपयोग किया जाता है।
उद्घाटन की प्रतीक्षा, 90% कार्य पूर्ण
इस चौराहे के उद्घाटन की तिथि अभी निश्चित नहीं हुई है, लेकिन नगर निगम के अनुसार 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। आने वाले समय में यह चौराहा न केवल स्थानीय लोगों के लिए गर्व का विषय बनेगा, बल्कि बरेली आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण बिंदु होगा।
