आदर्श दिवाकर
मीरगंज (बरेली)। कस्बे के वहरौली गांव में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई। शुक्रवार को 45 वर्षीय सुनीता देवी, जो मीरगंज सीएचसी में आशा कार्यकत्री के रूप में कार्यरत थीं, की इलाज के दौरान मौत हो गई।
परिजनों के अनुसार, सुनीता गांव के कथित डॉक्टर कमल से दवा लेने गई थीं। डॉक्टर ने उन्हें एक इंजेक्शन लगाया, जिसके बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उल्टियां शुरू हो गईं और हाथ में नीलेपन के लक्षण दिखने लगे। गंभीर हालत में उन्हें मीरगंज सीएचसी ले जाया गया, जहां से बरेली रेफर किया गया। लेकिन रास्ते में ही दोपहर करीब 1:40 बजे सुनीता ने दम तोड़ दिया । परिजनों ने आरोप लगाया कि इंजेक्शन से रिएक्शन हुआ, जिससे उनकी मौत हुई। शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।
यह घटना एक सप्ताह में झोलाछाप डॉक्टर के कारण हुई दूसरी मौत है। इससे पहले ठिरिया खुर्द की 20 वर्षीय नसीम की भी एक कथित निजी क्लीनिक में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसके बाद प्रशासन ने डॉक्टर अकील अहमद का क्लीनिक सील कर दिया था।
इन घटनाओं ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण इलाकों में बिना रजिस्ट्रेशन झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाए, ताकि और जानें न जाएं।
