बरेली।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान नटराज की वंदना “नागेंद्र हराय” से हुई। आद्या ग्रोवर, आद्या गुप्ता, मेहर, वान्या, अंबिका, अनंशी, अनिका, चिरन्य, पर्या, राध्या, बंदगी, सान्वी, भाव्या, संस्कृति, सैव्या, अक्षिता और अनुरति ने अपनी सधी हुई नृत्य मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं से भगवान शिव की आराधना की।
इसके बाद कौथ्वम, “नमो नमो जी शंकरा”, “तांडव”, “चंद्र चूड़” और “आनंदा तांडव” जैसी रचनाओं पर प्रस्तुत नृत्य ने पूरे माहौल को भक्ति और ऊर्जा से भर दिया।
भरतनाट्यम गुरु रोबिन ए. ने “कंडेना नटराजन” और गुरु तनया भट्टाचार्य ने “भो शंभो” पर अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं। उनकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति और लयबद्ध नृत्य ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गायन गुरु सात्विक मिश्रा ने अपने मधुर स्वरों से प्रस्तुति में जान डाल दी, जबकि वादन गुरु अनुग्रह सिंह (की-बोर्ड), विशेष सिंह (गिटार) और ऋषव आशीष पाठक (पखावज) ने अपनी वाद्य संगति से पूरे माहौल को सुरमय बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन अरुणा गंगवार ने किया। इस अवसर पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक एवं चेयरमैन देव मूर्ति, आशा मूर्ति, आदित्य मूर्ति, ऋचा मूर्ति, डा. एमएस बुटोला, डा. मनोज टांगड़ी, डा. शुभांशु गुप्ता, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा. शैलेश सक्सेना और डा. आशीष कुमार सहित शहर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने विद्यार्थियों की प्रतिभा और गुरुओं की नृत्य साधना की सराहना करते हुए कहा कि “शिव मल्हारी” वास्तव में कला, श्रद्धा और भारतीय संस्कृति का अनुपम संगम रहा।”



